श्री कृष्ण किसके बेटे नहीं बनना चाहते ?
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भगवान श्री कृष्ण की नगरी द्वारिका भारत के पश्चिम में समुद्र के किनारे स्थित है। श्री कृष्ण मथुरा में पैदा हुए, गोकुल में पले बढ़े और शासन उन्होंने द्वारिका में ही किया। हिंदुओं की पवित्र चार धाम यात्रा में से यह एक धाम है और सात पुरियों में से एक पुरी है।
द्वारिका एक छोटा-सा कस्बा है। इसके भीतर बहुत से मन्दिर हैं। द्वारिका के दक्षिण में एक लम्बा ताल है जिसे गोमती तालाब के नाम से जाना जाता है। इसी नाम पर ही द्वारिका को गोमती द्वारिका भी कहा जाता है। इसके ऊपर नौ घाट हैं।
जिस समय श्री कृष्ण वहां शासन करते थे उस समय द्वारिका बैकुंठ के समान थी। जिसमें भगवान का भरा-पूरा परिवार रहता था। उनकी 8 पटरानियां थी जिनके नाम थे रुक्मिणी, सत्यभामा, जाम्बवती, मित्रवन्दा, सत्या, लक्ष्मणा, भद्रा और कालिंदी। जिनसे उनके बहुत से पुत्र और पुत्रियों थे। उसके बाद श्री कृष्ण ने नरकासुर राक्षस द्वारा बंधक बनाई गई 16 हजार स्त्रियों को मुक्त कराकर उनसे विधिवत विवाह किया। जो उनकी रानियां कहलाती हैं।
उनकी 8 पटरानियों में से जाम्बवती नामक पटरानी भगवान के चरणों में रिछराज जाम्बवंत की भेंट है। भगवान श्री कृष्ण ने जब राम अवतार लिया तो उस समय जाम्बवंत जी भगवान श्री राम के सलाहकार थे। जो भगवान विष्णु के परम भक्त थे।
जाम्बवती पटरानी होते हुए भी पूर्ण समर्पण भाव से भगवान कृष्ण के प्रति पूर्ण रुप से समर्पित रही हैं।
जाम्बवती और भगवान श्री कृष्ण का एक पुत्र था जिसका नाम सांब था। जो भगवान श्री कृष्ण की ही भांति सोलह कला संपन्न था। सांब को देखते ही दुर्योधन की बेटी लक्ष्मणा उनसे प्रेम करने लगी। सांब की दृष्टि भी जब लक्ष्मणा पर पड़ी तो वो भी उसके आकर्षण में बंध गए।
कौरव लक्ष्मणा का विवाह श्री कृष्ण के पुत्र से कदापि नहीं करते इसलिए दोनों ने गंधर्व विवाह(प्रेम विवाह) करने का निर्णय लिया और विवाह कर लिया तत्पश्चात सांब लक्ष्मणा को अपने रथ में बैठाकर द्वारिका ले जाने लगा तो कौरवों ने मार्ग में ही हस्तिनापुर की पूरी सेना के साथ उस पर धावा बोल दिया।
कौरवों की विशाल सेना का साम्ब ने डट कर मुकाबला किया मगर अकेला कब तक विशाल सेना का सामना कर पाता। अत: साम्ब को हार का मुंह देखना पड़ा और कौरवों ने साम्ब को बंदी बना लिया। जब द्वारिका में साम्ब को बंदी बनाए जाने का समाचार पहुंचा तो बलराम हस्तिनापुर गए और कौरवों से शांति वार्ता कि और कहा वह साम्ब को छोड़ दें और उनकी कुल वधु लक्ष्मणा को विदा कर दें।
कौरवों ने बलराम जी की बात मानने से इंकार कर दिया। बलराम जी का क्रोध सातवें आसमान पर चढ़ गया। उन्होंने अपने हल से हस्तिनापुर पर प्रहार किया और हस्तिनापुर को खींचकर गंगा में डूबोने के लिए चल पड़े।
Answer:
श्रीकृष्ण भगवान विष्णु के 8वें अवतार और हिन्दू धर्म के ईश्वर माने जाते हैं। कन्हैया, श्याम, गोपाल, केशव, द्वारकेश या द्वारकाधीश, वासुदेव आदि नामों से भी उनको जाना जाता हैं। कृष्ण निष्काम कर्मयोगी, एक आदर्श दार्शनिक, स्थितप्रज्ञ एवं दैवी संपदाओं से सुसज्ज महान पुरुष थे। उनका जन्म द्वापरयुग में हुआ था। उनको इस युग के सर्वश्रेष्ठ पुरुष युगपुरुष या युगावतार का स्थान दिया गया है। कृष्ण के समकालीन महर्षि वेदव्यास द्वारा रचित श्रीमद्भागवत और महाभारत में कृष्ण का चरित्र विस्तुत रूप से लिखा गया है। भगवद्गीता कृष्ण और अर्जुन का संवाद है जो ग्रंथ आज भी पूरे विश्व में लोकप्रिय है। इस कृति के लिए कृष्ण को जगतगुरु का सम्मान भी दिया जाता है। कृष्ण वसुदेव और देवकी की 8वीं संतान थे। मथुरा के कारावास में उनका जन्म हुआ था और गोकुल में उनका लालन पालन हुआ था। यशोदा और नन्द उनके पालक माता पिता थे। उनका बचपन गोकुल में व्यतित हुआ। बाल्य अवस्था में ही उन्होंने बड़े बड़े कार्य किये जो किसी सामान्य मनुष्य के लिए सम्भव नहीं थे। मथुरा में मामा कंस का वध किया। सौराष्ट्र में द्वारका नगरी की स्थापना की और वहां अपना राज्य बसाया। पांडवों की मदद की और विभिन्न आपत्तियों में उनकी रक्षा की। महाभारत के युद्ध में उन्होंने अर्जुन के सारथी की भूमिका निभाई और भगवद्गीता का ज्ञान दिया जो उनके जीवन की सर्वश्रेष्ठ रचना मानी जाती है। 124 वर्षों के जीवनकाल के बाद उन्होंने अपनी लीला समाप्त की। उनके अवतार समाप्ति के तुरंत बाद परीक्षित के राज्य का कालखंड आता है। राजा परीक्षित, जो अभिमन्यु और उत्तरा के पुत्र तथा अर्जुन के पौत्र थे, के समय से ही कलियुग का आरंभ माना जाता है।