शीर्षक (बेटी बचाओ बेटी पढाओ - 400 शब्द निबंध)
- भारतीय संस्कृति में महिलाओं की स्थिति
- कन्या भ्रूण हत्या का कारण
- समाज पर प्रभाव
- महिला शिशु हत्या के निवारक उपाय
All 4 points in one 400 word essay
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Answer:
बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान’ केवल एक योजना या अभियान नहीं है। यह लोगो की सोच से जुड़ा सामाजिक विषय है। हमें इसके पीछे छिपी लोगों की ओछी सोच को बदलना है, जो कि कठीन कार्य है। ईश्वर के बाद केवल महिलाओं के पास सृजन की क्षमता है। जरा सोचिए वो समाज कैसा होगा, जहां महिलाएं न हो (‘अ नेशन विदाउट वुमन’)। केवल कल्पना करने की जरूरत है। तस्वीर खुद-ब-खुद साफ हो जायेगी। ऐसा कोई काम नहीं, जो लड़कियां नहीं कर सकती। वो भी देश की प्रगति में समान रुप से भागीदार है। इंदिरा गांधी से लेकर कल्पना चावला तक ऐसे लाखों नाम हैं, जिन्होने देश का नाम रौशन किया है।
बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ अभियान का उद्देश्य
“आइए कन्या के जन्म का उत्सव मनाएं। हमें अपनी बेटियों पर बेटों की तरह ही गर्व होना चाहिए। मैं आपसे अनुरोध करूंगा कि अपनी बेटी के जन्मोत्सव पर आप पांच पेड़ लगाएं।” –प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी
‘बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ’ का शुभारंभ प्रधान मंत्री ने 22 जनवरी 2015 को पानीपत, हरियाणा में की थी। हरियाणा में ही करने का मेन कारण वहां लिंग-अनुपात में सर्वाधिक अंतर है। यह योजना पुरे देश को समर्पित करते हुए प्रधानमंत्री जी ने पुरे देश का आह्वाहन किया, और सभी देशवासियों को एकजुट होकर लड़कियों की कम जनसंख्या को संतुलित करने का संकल्प किया। इस योजना का दारोमदार तीन मंत्रालयों को सौंपा गया है, ये हैं - महिला और बाल विकास मंत्रालय, स्वास्थ्य परिवार कल्याण मंत्रालय तथा मानव संसाधन मंत्रालय।
इस योजना के तहत सबसे पहले सम्पूर्ण भारत में पूर्व गर्भाधान और प्रसव पूर्व निदान तकनीक (PCPNDT) अधिनियम, 1994 (Pre-Conception & Pre-Natal Diagnostic Techniques Act, 1994) को लागू किया गया है। कोई भी ऐसा करते पकड़ा गया तो उसके लिए कड़े दंड के प्रावधान हैं। साथ ही साथ यदि कोई चिकित्सक भ्रूण लिंग परीक्षण करते या भ्रूण-हत्या का दोषी पाया गया, तो उसे अपने लाइंसेंस रद्द के साथ साथ भयंकर परिणाम भोगने पड़ सकते हैं। इसके लिए कानूनी कार्यवाही के आदेश हैं।
अब हर क्लिनिक हॉस्पिटल में ये साफ-साफ लिखा होता है कि, भ्रूण की लिंग की जांच कराना कानूनन जुर्म होता है। इन सब प्रयासों से बहुत सकारात्मक परिणाम आए हैं। लोगों की सोच भी बहुत हद तक बदली है