Hindi, asked by Varunnndab, 1 year ago

श्रम का महत्व 100 to 150 words paragraph. Urgent

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Answered by JackelineCasarez
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अनुच्छेद लेखन

Explanation:

श्रम ही मनुष्य के जीवन का वास्तविक धन है। बिना श्रम किए कोई भी सफलता हासिल नहीं कर सकता। यही मनुष्य की सफलता की एक मात्र कुंजी है। यह एक ऐसा हथियार है जो कीचड़ को सोने में बदल सकती है। श्रम ही सफलता का राज है। आलस्य और सुस्ती एक व्यक्ति के जीवन को अभिशाप देती है और केवल श्रम ही उसे वरदान में बदल सकती है।

श्रम के लिए निरंतर सतर्कता और तत्परता वह मूल्य है जो हमें जीवन में सफलता के लिए चुकाना पड़ता है। काम एक विशेषाधिकार और खुशी है, आलस्य एक विलासिता है जिसे कोई नहीं झेल सकता। मनुष्य जीवन में काम और समृद्धि के लिए पैदा हुआ है। वह स्टील की तरह उपयोग में चमकता है और बाकी हिस्सों में जंग लगाता है। काम ही पूजा है। एक कार्यरत व्यक्ति आज में जीता है। उसके लिए कोई कल नहीं था। वह सबसे अच्छा समय बनाता है। जीवन कलह से भरा है। यह प्रकृति की व्यवस्था की क्रिया, गतिविधि है। आलस्य का जीवन लज्जा और अपमान का जीवन है। निष्क्रिय पुरुष समाज पर घुसपैठिया हैं। हम मस्तिष्क और अंगों के साथ संपन्न होते हैं, जो ठीक से व्यायाम करने के लिए होते हैं। जीवन में विफलता बहुत बार आलस्य के कारण होती है। श्रम सफलता की कुंजी है, श्रम राष्ट्र बनाता है और आलस्य एक आलस्य एक राष्ट्र को बर्बाद कर देता है।

महान श्रम से ही महानता प्राप्त की जा सकती है। एक व्यक्ति अपने भौंह के पसीने से जो कमाता है, वह उसे भाग्य के एक झटके से अधिक से अधिक संतुष्टि प्रदान करता है।  जब एक आदमी अपनी मेहनत से कमाता है; वह एक आनंददायक अनुभूति प्राप्त करता है जो एक जीत हासिल करने की खुशी के बराबर है। सभी महान हस्तियों ने अपनी मेहनत और लगन से ही अपना मुकाम हासिल किया है।

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Answered by krishna210398
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Answer:

श्रम का महत्व

Explanation:

श्रम' का अर्थ है- तन-मन से किसी कार्य को पूरा करने के लिए प्रयत्नशील होना । जिस व्यक्ति ने परिश्रम के बल पर आगे बढ़ने की चेष्टा की, वह निरंतर आगे बढ़ा । मानव-जीवन की उन्नति का मुख्य साधन परिश्रम है । जो मनुष्य जितना अधिक परिश्रम करता है, उसे जीवन में उतनी ही अधिक सफलता मिलती है ।

परिश्रम ही मनुष्य जीवन का सच्चा सौंदर्य है । संसार में प्रत्येक प्राणी सुख चाहता है । संसार-चक्र सुख की प्राप्ति के लिए चल रहा है । संसार का यह चक्र यदि एक क्षण के लिए रुक जाए तो प्रलय हो सकती है ।

इसी परिवर्तन और परिश्रम का नाम जीवन है । हम देखते हैं कि निर्गुणी व्यक्ति गुणवान् हो जाते है; मूर्ख बड़े-बड़े शास्त्रों में पारंगत हो जाते हैं; निर्धन धनवान् बनकर सुख व चैन की जिंदगी बिताने लगते हैं । यह किसके बल पर होता है ? सब श्रम के बल पर ही न । ‘श्रम’ का अर्थ है- तन-मन से किसी कार्य को पूरा करने के लिए प्रयत्नशील होना ।

जिस व्यक्ति ने परिश्रम के बल पर आगे बढ़ने की चेष्टा की, वह निरंतर आगे बढ़ा । मानव-जीवन की उन्नति का मुख्य साधन परिश्रम है । जो मनुष्य जितना अधिक परिश्रम करता है, उसे जीवन में उतनी ही अधिक सफलता मिलती है ।

जीवन में श्रम का अत्यधिक महत्त्व है । परिश्रमी व्यक्ति कै लिए कोई कार्य कठिन नहीं । इसी परिश्रम के बल पर मनुष्य ने प्रकृति को चुनौती दी है- समुद्र लाँघ लिया, पहाड़ की दुर्गम चोटियों पर वह चढ़ गया, आकाश का कोई कोना आज उसकी पहुँच से बाहर नहीं ।

#SPJ3

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