Hindi, asked by bhargav14332, 2 months ago

'श्रम का महत्व' निबंध लिखिए।
रूपरेखाः प्रस्तावना विषय विस्तार
उपसंहार​

Answers

Answered by shashi1979bala
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प्रस्तावना

हमारे जीवन में श्रम का बहुत अधिक महत्व है। हम जानते हैं हम अपने जीवन में जो कुछ भी प्राप्त करते हैं वह अपने कर्मों के द्वारा ही प्राप्त करते हैं हम अपने कर्मों को पूर्ण करने में श्रम ही करते हैं अर्थात श्रम करना ही कर्म करना है।

बैठ भाग्य की बाट जोहना, यह तो कोरा भ्रम है।

अपना भाग्य विधाता सम्बल, हर दम अपना श्रम है।

मानवता का मान इसी में, जीवन सरस निहित है।

निरालम्ब वह मनुज, कि जो, नीरस है, श्रम विरहित है।।

श्रम की भूमिका

मनुष्य मात्र का उद्देश्य सुख की प्राप्ति है। मनुष्य से लेकर चींटी और हाथी तक प्रत्येक जीव सुख चाहता है एवं दुःख से छुटकारा पाने का इच्छुक है।

सुख का मूल कारण ज्ञान है और ज्ञान की प्राप्ति बिना श्रम के नहीं हो सकती। इस प्रकार हम कह सकते हैं कि सुख का साधन श्रम है। बिना श्रम के मनुष्य कभी भी सुखी नहीं हो सकता।

वास्तविकता तो यह है कि बिना श्रम के कोई भी काम हो ही नहीं सकता। श्रम जीवन की कुंजी है।

श्रमजीवी यश पाता है, स्वास्थ्य, शान्तिधन, शौर्य-आनन्द।

स्वावलम्बन-भरी साधृता, पद-वैभव, श्रम के आनन्द।॥

श्रम और भाग्य

बहुत-से लोगों में एक ऐसी भावना है कि श्रम के महत्त्व को न समझ कर वे निकम्मे हो जाते हैं। उनका कहना है कि मनुष्य के भाग्य में जो कुछ होना है, वही होता है। चाहे वह कितना भी परिश्रम क्यों न कर ले, भाग्य के विपरीत वह कुछ भी नहीं कर सकता।

परन्तु यह उसका निरा भ्रम है। वास्तव में श्रम का ही दूसरा नाम भाग्य है। श्रम के बिना भाग्य की कोई सत्ता ही नहीं है। मैं अपने भाग्य का स्वयं निर्माता हूँ।

मेरा श्रम ही मेरे भाग्य का निर्माण करता है। अपने भाग्य को अच्छा-बुरा बनाना मनुष्य के अपने ही हाथ में है।

संस्कृत के किसी कवि का यह कथन कितना यथार्थ है-

उद्योगिनं पुरुषसिंहमुपैति लक्ष्मीः,

दैवेन देयमिति कापुरुषाः वदन्ति।

दैवं निहत्य कुरु पौरुषमात्मशक्त्या,

यत्ने कुते यदि न सिध्यति कोऽत्र दोषः ॥

उद्योगशील वीर पुरुष को लक्ष्मी प्राप्त हो जाती है। ‘भाग्य देता है-ऐसा तो कायर लोग कहा करते हैं। अतः भाग्य का भरोसा छोड़कर अपनी पूरी शक्ति से काम करो । यदि यत्न करने पर भी सफलता नहीं मिलती तो समझो कि तुम्हारे उद्योग में कमी है और सोचो कि तुम्हारे प्रयत्न में क्या दोष रहा है?

उपसंहार

आधुनिक युग विज्ञान का युग है। प्रत्येक बात को तर्क की कसौटी पर कसा जा सकता है।

भाग्य जैसी काल्पनिक वस्तुओं में अब जनंता का विश्वास घटता जा रहा है। वास्तव में भाग्य श्रम से अधिक कुछ, भी नहीं, श्रम का ही दूसरा नाम भाग्य है।

जीवन में श्रम की महती आवश्यकता है। बिना श्रम के मानव जाति का कल्याण नहीं, दुःखों से त्राण नहीं और समाज में उसका कहीं भी सम्मान नहीं । हमें सदैव इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि अपने भाग्य के विधाता हम स्वयं है।

अतः कहा गया है कि-

श्रम एवं परोयज्ञः, श्रम एवं परन्तपः।

नास्ति किंचिद् श्रमात् असाध्यं, तेन श्रमपरोभव ॥

Hope it was helpful

Answered by chhavitomar76
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Answer:

ʜᴇʀᴇ ɪꜱ ʏᴏᴜʀ ᴀɴꜱᴡᴇʀ✨✨✨✨

Explanation:

जीवन में सफलता प्राप्ति के लिए श्रम अनिवार्य है । इसलिए कहा गया है- “परिश्रम ही सफलता की कुंजी है ।” उन्हीं लोगों का जीवन सफल होता है, वे ही लोग अमर हो पाते हैं जो जीवन को परिश्रम की आग में तपाकर उसे सोने की भाँति चमकदार बना लेते हैं । परिश्रमी व्यक्ति सदैव अपने लक्ष्य की ओर अग्रसर रहता है ।

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