शेरशाह सूरी पर निबंध | Write an Essay on Sher Shah Suri in Hindi
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एक शासक के रूप में शेरशाह अपने पूर्ववर्ती शासकों में अग्रणी स्थान रखता था । बाबर, अकबर तथा उसके बाद के सभी बादशाहों ने उसी की शासन-नीतियों को अपनाया । भारतीय साम्राज्य में उसने जनता की इच्छानुसार कार्य किये । प्रजाहित की दृष्टि से वह भारत के कौटिल्य, अशोक के समकक्ष तथा यूरोप में हेनरी सप्तम था ।
स्वेच्छाचारी होते हुए भी उसने प्रजाहित को सर्वोपरि रखा । न्याय-धर्म को सर्वश्रेष्ठ मानते हुए उसने राजनीति में धर्म का हस्तक्षेप कदापि स्वीकार नहीं किया । वह एक महान् प्रतिभाशाली, रचनात्मक बुद्धिवाला, कुशल सेनापति था । राजस्व प्रबन्ध, सैनिक व्यवस्था संगठन, उदार धार्मिक नीति, नवीन योजनाओं के क्रियान्वयन के साथ-साथ वह प्रशासकीय प्रतिभा से युक्त श्रेष्ठ शासक था
शेरशाह सूरी मध्यकालीन इतिहास का एक अमिट चेहरा है, जिसने अपनी योग्यता और मेहनत के दम पर एक साधारण व्यक्तित्व के ऊपर उठकर राजपद तक पहुंचा।
शेरशाह सूरी का जन्म भारत के बजवाड़ा में १४७२ में हुआ था। इनके पिता का नाम हसन खां था। इनके बाबा का नाम इब्रहीम सूरी था। शेरशाह का वास्तविक नाम फरीद खान था। एक शेर को मारने के वजह से इनको शेरशाह बुलाया जाने लगा।
इनके पिता की चार पत्नियां थीं यह अपने पिता के प्रथम पत्नि के पुत्र थे। इनके पिता चौथी रानी को अधिक प्यार करते थे। इस वजह से इनका बचपन अभाव में गुजरा।
१५३९ में हुमायूं और शेरशाह के युद्ध जिसको चौसा का युद्ध भी कहा जाता है इस युद्ध में हुमायूं की हार हुई थी। इस युद्ध के बाद शेरशाह को " सुल्तान ए आदिल" की उपाधि ग्रहण की।
१५४० में कन्नौज के युद्ध में हुमायूं को शेरशाह ने हराकर पूरे भारत पर कब्ज़ा कर लिया। मालवा और राजस्थान को जीतने के बाद प्रशासन और सैनिक महत्त्व की वजह से शेरशाह कलिंजर को जीतना चाहता था।
१५४४ में शेरशाह ने कलिंजर के किले को घेर लिया था और लगभग ६ माह तक घेर के रखने के बात वह कलिंजर को जीत नहीं पाया।
२२ मई १५४५ काला दिन का था जो शेरशाह सूरी के लिए मौत बनकर आया। जब शेरशाह ने २२ मई को कलिंजर के किले को गोला बारूद से उड़ाने की बात कही तभी एक बारूद का गोला शेरशाह के पास आ गया जिससे शेरशाह की जलकर मृत्यु हो गई।
शेरशाह ने मुद्रा के क्षेत्र में अपना योगदान दिया। सोने, चांदी और तांबे के सिक्के उन्होंने बनवाए। उनके समय में २३ टक्साल थी।
सड़क निर्माण भी उन्होंने किया G.T.Road उनका ही अवदान है।१७०० सरायों का निर्माण भी उन्होंने किया।
व्यापार में लिए जाने वाले कर में भी उन्होंने सुधार किया। उनके काल में दो कर थे।एक सीमा को पार करने के वक्त कर और दूसरा वस्तु का विक्रय करते वक्त।
डॉ कानूनगी ने लिखा -- अगर शेरशाह सूरी २० साल और जीवित होते तो वह जमींदार वर्ग को समाप्त कर देता।