Hindi, asked by Anonymous, 9 months ago

शास्त्रीय संगीत से अलग लोकगीत सीधे जनता के संगीत हैं, जो बिना ककसी साधना के त्योहारों
और विशेष अिसरों पर गाए जाते हैं। इनकी रचना ग्रामीण जनों ने ही ककया है। ये ढोलक, झााँझ, करताल
आदि ग्रामीण िाद्य यंरों की मिि से गाए जाते हैं ।
कुछ दिनों पहले तक लोकगीत शास्त्रीय संगीत के सामने िहुत ही हेय समझे जाते थे और इनकी
उपेक्षा की जाती थी, परंतुसादहत्य और कला के क्षेर में पररितनत आने के िाि से लोक सादहत्य और
लोकगीतों के संग्रह पर लोगों का ध्यान गया है ।
लोकगीत कई प्रकार के होते हैं। इनमें सिसे प्रमखु हैं- आदििासी गीत ।गांिों में िेश का
िास्त्तविक लोकगीत है । चैता, कजरी, िारहमासा, सािन आदि ममर्ातपुर, िनारस और उत्तर प्रिेश के पूरिी
और बिहार के पश्चचमी श्र्लों में गाए जाते हैं। िाउल और भततयाली िंगाल के लोकगीत हैंतो मदहया
पंजाि का ।
लोकगीतों का विषय रोर्मरात के जीिन का होता है, श्जससे िे सीधे ममत को छू लेते हैं। ग्रामीण
िोमलयों में गाए जाने िाले गीत िड़े ही आनंिमय होते हैं।
प्रश्न
क. लोकगीत ककन अिसरों पर गाए जाते हैं?
ख. सादहत्य और कला के क्षेर में पररितनत आने से क्या हुआ है?
ग. चैता, कजरी, िारहमासा आदि गीत कहााँ गाए जाते है ?
घ. लोकगीत हमारे ममत को सीधे क्यों छू लेते हैं?
ङ. `वििेश’ और `मरण’ का विलोम गद्यांश में से ढूाँढ़कर मलखखए ।

Answers

Answered by dukuntlasruthi
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Answer:

लोकगीत शास्त्रीय संगीत से भिन्न है। लोकगीत सीधे लोगों के गीत होते है। घर, नगर, गाॅव के लोगों के अपने गीत होते है। इसके लिए शास्त्रीय संगीत की तरह प्रयास या अभ्यास की जरुरत नहीं है। त्योंहारों और विषेष अवसरों पर यह गीत गाये जाते है। इसकी रचना करनेेवाले भी अधिकतर गाॅव के ही लोग होत हैं। हिंदी भाषा एक समृध्द भाषा है। पष्चिमी हिंदी के अंतर्गत खडी बोली, ब्रज, बांगरु कन्नोजी, ई भाषाएॅ आती है अवधी बघेली, छत्तीसगढी आदी मध्य की भाषाएॅं मानी जाती है। भोजपुरी, मैथिली, मगही पूर्व की भाषाएॅ है। उत्तर में कुमाउॅनी है। बोलियों की बहुत सी उप-बोलियाॅ है। सभी बोलि और उप-बोलियों के लोकगीत अपना विषेष महत्व रखते है। लोकगीतों में प्राचीन परंपराएॅ, रितिरिवाज, धार्मिक एवं सामाजिक जीवन के साथ अपनी संस्कृति दिखाई देती है। ऐसे लोकगीतों में ऋतुसंबंधी गीत, संस्कार गीत और जातीय गीत, शादी के गीत आदि आते है। लोकगीत अधिकत झाॅंझ या ढोलक की मदत से गाए जाते है। लोकगीत गाॅव और इलाकों की बोलियों में गाए जाते है। उस क्षेत्र के लोग उसे समझते है यही उसकी सफलता कहीें जा सकती है। साहित्य की प्रमुख विधाओं में लोकगीतों का स्थान सर्वोपरी है।

 लोकगीत की परिभाषा –

लोकगीत लोक के गीत है। जिन्हें कोई एक व्यक्ति नहीं बल्कि पूरा लोक समाज अपनाता हैै। सामान्यतः लोक में प्रचलित, लोक द्वारा रचित एवं लोक के लिए लिखे गए गीतों को लोकगीत कहा ा सकता है। लोकगीतों के रचनाकार अपने व्यक्तित् को लोक समर्पित कर देता है।1

डाॅ. वासुदेव शरण अग्रवाल – “लोकगीत किसी संस्कृति के मुॅह बोलते चित्र है।“2

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