शैशव काल के दौरान स्वयं की विशेषताएं बताएं
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शैशवकाल में सामाजिक विशेषताएँ ग्रहण की जाती हैं। बालक में आत्म-प्रेम, निर्भरता, समूह प्रेम आदि का विकास होता है। वह नैतिकता से अपरिचित रहता है। मीड ने शैशवकाल में बालक में स्वयं के भाव की प्रचुरता बतलायी है और धीरे-धीरे यह'हम' के भाव में परिवर्तित होती जाती है।
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