शैशवावस्था एवं बाल्यावस्था के दौरान बालक के विकास का अधिगम से क्या सम्बन्ध है?
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शैशवावस्था के दौरान बालक के विकास का अधिगम से सम्बन्ध-
शैशवावस्था के दौरान बालक के विकास का अधिगम से गहरा सम्बन्ध है। जन्म से 6 वर्ष की अवस्था को शैशवावस्था कहा जाता है। इसमे जन्म से 3 वर्ष तक बच्चों का शारीरिक और मानसिक विकास बहुत तेजी से होता है। शैशवावस्था में अनुकरण एवं दोहारने की तीव्र प्रवृति बच्चों में पाई जाती है। इसके अलावा इस काल में बच्चो का समाजीकरण भी प्रारंभ हो जाता है। इस काल में बच्चो में जिज्ञासा की तीव्र प्रवृति पाई जाती है और भाषा सीखने की सर्वोत्तम अवस्था होती है इस लिए सिक्षा कि दृष्टि से भी यह अवस्था महत्वपूर्ण होती है।
बाल्यावस्था के दौरान बालक के विकास का अधिगम से सम्बन्ध-
बाल्यावस्था 6 से 12 वर्ष की अवस्था को कहते हैं। बाल्यावस्था के प्रथम चरण 6 से 9 वर्ष में बालको के लम्बाई एवं भार दोनों बढ़ाते है। इस काल में बच्चों में चिंतन एवं तर्क शक्ति का विकास होता है और वह पढाई में रूचि लेने लगते हैं। बता दे कि शैशवावस्था में बच्चे जहाँ तीव्र गति से सिखाते हैं वही बाल्यावस्था में मंद गति से सिखाते है किन्तु सिखाने का क्षेत्र विस्तृत होता है। इसलिए मनोवैज्ञानिक दृष्टि से बच्चों की सिक्षा के लिए विभिन्न विधियों का प्रयोग करना चाहिए ताकि वे विषय को समझ कर सिख सके।