शिष्टाचार के इन नियमों का पालन नहीं करने से क्या हानि है ? a) कुछ भी हानि नहीं b) परिवार समाज कार्यालय सर्वत्र कुव्यवस्था फैलने का भय बना रहता है। (c) हर व्यक्ति आराम से रहता है d) मन खुश रहता है
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संवाद सहयोगी, उकलाना: इसान को अपने जीवन में शिष्टाचार का पालन करना चाहिए और दूसरों को पूरा मान-सम्मान देना चाहिए। किसी भी व्यक्ति की भावनाओं को ठेस नहीं पहुचानी चाहिए। यह बात जैन डा. सुवर्त मुनि महाराज ने स्थानीय जैन स्थानक में प्रवचन करते हुए कही। उन्होंने कहा कि इसान को शिष्टाचार के नियमों का पालन करना चाहिए। घर आए अतिथि की सेवा करनी चाहिए और पूरा आदर सत्कार देना चाहिए। कभी भी किसी दूसरे व्यक्ति को अपने से छोटा नहीं समझना चाहिए। उन्होंने कहा कि इसान को शिष्टाचार के नाते दीन दुखियों की सहायता करनी चाहिए। विद्वान व संत महात्माओं की प्रसंशा करनी चाहिए तथा आपत्ति में भी धैर्य नहीं खोना चाहिए। संपति में नम्रता बरतनी चाहिए। समय के अनुसार व्यवहार करना चाहिए तथा सही ढग से वाणी का प्रयोग करना चाहिए। इसान को अपने कुलधर्म का पालन करना चाहिए तथा धन का कभी भी अपव्यय नहीं करना चाहिए। उन्होंने कहा कि इसान को उत्तम कार्य करने में लगन रखनी चाहिए। लोकाचार का पालन करनाचाहिए। उन्होंने कहा कि इसान को कभी नीच कार्य नहीं करने चाहिएं। जो इसान हमेशा शिष्टाचार के उक्त नियमों को अपने मन में रखेगा वह कभी भी गलत कार्य नहीं करेगा और हमेशा जनहित के कार्यो को त्वजो देगा। इसलिए इसान को अपने जीवन में उक्त शिष्टाचार के नियमों को उतारना चाहिए। इस मौके पर सच्चन मितल, दरबारी लाल जैन, रामनिवास जैन, संजय जैन, सतपाल जैन, शीशपाल चहल, वेदप्रकाश धत्तरवाल, सुरेश गर्ग, राकेश जैन, सुमित जैन सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालुगण मौजूद थे।