शिष्टाचार की संक्षिप्त टिप्पणी
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शिष्टाचार हमारे जीवन का एक अनिवार्य अंग है। विनम्रता, सहजता से वार्तालाप, मुस्कराकर जवाब देने की कला प्रत्येक व्यक्ति को मोहित कर लेती है।
जो व्यक्ति शिष्टाचार से पेश आते हैं वे बड़ी-बड़ी डिग्रियां न होने पर भी अपने-अपने क्षेत्र में पहचान बना लेते हैं। प्रत्येक व्यक्ति दूसरे शख्स से शिष्टाचार और विनम्रता की आकांक्षा करता है।
शिष्टाचार का पालन करने वाला व्यक्ति स्वच्छ, निर्मल और दुर्गुणों से परे होता है। व्यक्ति की कार्यशैली भी उसमें शिष्टाचार के गुणों को उत्पन्न करती है। सामान्यत: शिष्टाचारी व्यक्ति अध्यात्म के मार्ग पर चलने वाला होता है। अध्यात्म के अनुसार प्रत्येक व्यक्ति का जन्म किसी वजह से हुआ है। हमारे जीवन का उद्देश्य ईश्वर की दिव्य योजना का एक अंग है। ऐसे में शिष्टाचार का गुण व्यक्ति को अभूतपूर्व सफलता और पूर्णता प्रदान करता है।
यदि व्यक्ति किसी समस्या या तनाव से ग्रस्त है, लेकिन ऐसे में भी वह शिष्टाचार के साथ पेश आता है तो अनेक लोग उसकी समस्या का हल सुलझाने के लिए उसके साथ खड़े हो जाते हैं। ऐसा व्यक्ति स्वयं भी समस्या के समाधान तक पहुंच जाता है। शिष्टाचार को अपने जीवन का एक अंग मानने वाला व्यक्ति अकसर अहंकार, ईष्र्या, लोभ, क्रोध आदि से मुक्त होता है। ऐसा व्यक्ति हर जगह अपनी छाप छोड़ता है। कार्यस्थल से लेकर परिवार तक हर जगह वह और उससे सभी संतुष्ट रहते हैं। शिष्टाचारी व्यक्ति शारीरिक व मानसिक रूप से भी स्वस्थ रहता है, क्योंकि ऐसा व्यक्ति सद्विचारों से पूर्ण व सकारात्मक नजरिया रखता है। उसके मन के सद्भाव उसे प्रफुल्लित रखते हैं। चिकित्सा विज्ञान भी अब इस तथ्य को सिद्ध कर चुका है कि अच्छे विचारों का प्रभाव मन पर ही नहीं, बल्कि तन पर भी पड़ता है।
मस्तिष्क की कोशिकाएं मन में उठने वाले विचारों के अनुसार कार्य करती हैं। इसके विपरीत नकारात्मक विचारों का मन व तन पर नकारात्मक प्रभाव ही पड़ता है। जेम्स एलेन ने अपनी पुस्तक में लिखा है कि अच्छे विचारों के सकारात्मक व स्वास्थ्यप्रद और बुरे विचारों के बुरे, नकारात्मक व घातक फल आपको वहन करने ही पड़ेंगे। व्यक्ति जितना अधिक अपने प्रति ईमानदार और शिष्टाचारी होता है वह उतनी ही ज्यादा सच्ची और वास्तविक खुशी को प्राप्त करता है।
जो व्यक्ति शिष्टाचार से पेश आते हैं वे बड़ी-बड़ी डिग्रियां न होने पर भी अपने-अपने क्षेत्र में पहचान बना लेते हैं। प्रत्येक व्यक्ति दूसरे शख्स से शिष्टाचार और विनम्रता की आकांक्षा करता है।
शिष्टाचार का पालन करने वाला व्यक्ति स्वच्छ, निर्मल और दुर्गुणों से परे होता है। व्यक्ति की कार्यशैली भी उसमें शिष्टाचार के गुणों को उत्पन्न करती है। सामान्यत: शिष्टाचारी व्यक्ति अध्यात्म के मार्ग पर चलने वाला होता है। अध्यात्म के अनुसार प्रत्येक व्यक्ति का जन्म किसी वजह से हुआ है। हमारे जीवन का उद्देश्य ईश्वर की दिव्य योजना का एक अंग है। ऐसे में शिष्टाचार का गुण व्यक्ति को अभूतपूर्व सफलता और पूर्णता प्रदान करता है।
यदि व्यक्ति किसी समस्या या तनाव से ग्रस्त है, लेकिन ऐसे में भी वह शिष्टाचार के साथ पेश आता है तो अनेक लोग उसकी समस्या का हल सुलझाने के लिए उसके साथ खड़े हो जाते हैं। ऐसा व्यक्ति स्वयं भी समस्या के समाधान तक पहुंच जाता है। शिष्टाचार को अपने जीवन का एक अंग मानने वाला व्यक्ति अकसर अहंकार, ईष्र्या, लोभ, क्रोध आदि से मुक्त होता है। ऐसा व्यक्ति हर जगह अपनी छाप छोड़ता है। कार्यस्थल से लेकर परिवार तक हर जगह वह और उससे सभी संतुष्ट रहते हैं। शिष्टाचारी व्यक्ति शारीरिक व मानसिक रूप से भी स्वस्थ रहता है, क्योंकि ऐसा व्यक्ति सद्विचारों से पूर्ण व सकारात्मक नजरिया रखता है। उसके मन के सद्भाव उसे प्रफुल्लित रखते हैं। चिकित्सा विज्ञान भी अब इस तथ्य को सिद्ध कर चुका है कि अच्छे विचारों का प्रभाव मन पर ही नहीं, बल्कि तन पर भी पड़ता है।
मस्तिष्क की कोशिकाएं मन में उठने वाले विचारों के अनुसार कार्य करती हैं। इसके विपरीत नकारात्मक विचारों का मन व तन पर नकारात्मक प्रभाव ही पड़ता है। जेम्स एलेन ने अपनी पुस्तक में लिखा है कि अच्छे विचारों के सकारात्मक व स्वास्थ्यप्रद और बुरे विचारों के बुरे, नकारात्मक व घातक फल आपको वहन करने ही पड़ेंगे। व्यक्ति जितना अधिक अपने प्रति ईमानदार और शिष्टाचारी होता है वह उतनी ही ज्यादा सच्ची और वास्तविक खुशी को प्राप्त करता है।
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