शिष्यों को सुरंग में किस कठिनाई का सामना करना पड़ा?
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कुछ शिष्यों ने जवाब दिया कि रास्ते में नुकीले पत्थर थे, जिन्हें हम चुनकर जेब मे रखते जा रहे थे, ताकि पीछे आने वालों को पीड़ा न हो। गुरूजी ने उन सभी शिष्यों को बुलाया जिन्होंने पत्थर चुने थे और कहा जिन्हें तुम पत्थर समझ रहे हो, वे वास्तव में बहुमूल्य हीरे हैं जिन्हें मैंने सुरंग में डाला था।
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