शांत रस का स्थायी भाव है
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शांत रस (Shant Ras), मोक्ष और आध्यात्म की भावना, संसार से वैराग्य होने या परमात्मा के वास्तविक रूप का ज्ञान होने पर जो शान्ति मिलती है वहाँ शांत रस होता है. शांत रस का स्थायी भाव निर्वेद (उदासीनता) होता है. शान्त रस (Shant ras) को हिंदी साहित्य में प्रसिद्ध नौ रसों में अन्तिम रस माना जाता है।
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