शीत ऋतु की अवस्था एवं उसकी विशेषताएँ बताइए ।
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उत्तर :
शीत ऋतु की अवस्था एवं उसकी विशेषताएँ :
भारत में शीत ऋतु मध्य नवंबर में उत्तरी भारत से आरंभ होती है और फरवरी तक रहती है। इस ऋतु की विशेषता और जलवायु दशाओं का वर्णन इस प्रकार है :
तापमान :
इस मौसम में सूर्य दक्षिण गोलार्ध में मकर रेखा पर सीधा चमकता है। इसलिए भारत के दक्षिण भारत से उत्तर की ओर तापमान लगातार घटता रहता है। चेन्नई का औसत तापमान 24° से 25° होता है, जबकि उत्तरी भारत में 10° से 15° के बीच होता है।
वायु का दबाव :
संपूर्ण उत्तरी भारत में तापमान में गिरावट के कारण उच्च वायुदाब का क्षेत्र पाए जाते हैं। परिणामस्वरूप हमारे देश के उत्तरी पश्चिमी भागों में 1020 मिलीबार की समदाब रेखा द्वारा प्रति चक्रवात की स्थिति उत्पन्न हो जाती है। देश के दक्षिणी भागों तथा समुद्र तटीय क्षेत्रों में निम्न वायुदाब वाली 1013 मिलीबार की समदाब रेखा गुजरती है।
कभी-कभी देशों के पश्चिमी तथा उत्तर पश्चिमी भागों में निम्न दाब का केंद्र बन जाते हैं। उन्हें पश्चिमी विक्षोभ अथवा चक्रवात कहा जाता है।
पवनें :
इस समय मध्य तथा पश्चिम एशिया के क्षेत्रों में उच्च दाब का केंद्र बन जाता है । वहां की शुष्क तथा शीत पवनें उत्तर पश्चिमी भागों से देश के अंदर प्रवेश करती हैं। इससे पूरे विशाल मैदानों का तापमान काफी नीचे गिर जाता है । 3 से 5 किलोमीटर प्रति घंटे की गति से बहने वाली इन पवनों के द्वारा शीतलहर का जन्म होता है। इस ऋतु में देश के ऊपर जेट वाली धाराओं का प्रभाव भी रहता है। ये धाराएं धरातल से 3 किलोमीटर की ऊंचाई के बाद ऊपरी मंडल में बहुत तेज़ गति से चलती हैं। इन पवनों के मार्ग में हिमालय पर्वत के आ जाने के कारण यह जेट धारा दक्षिणी एवं उत्तरी भागों में बंट जाती है। इनमें से दक्षिणी जेट धारा देश की जलवायु को प्रभावित करती है। इसी धारा के कारण भूमध्य सागरीय चक्रवात भारत में आते हैं।
वर्षा :
सर्दियों में देश के दो भागों में वर्षा होती है। देश के उत्तरी पश्चिमी भागों में पंजाब, हरियाणा, उत्तरी राजस्थान, जम्मू-कश्मीर, पश्चिम उत्तर प्रदेश में औसत 20 से 25 सेंटीमीटर तक चक्रवातीय वर्षा होती है। हिमाचल प्रदेश, कश्मीर , कुमाऊं और गढ़वाल की पहाड़ियों में हिमपात होता है। दूसरी ओर तमिलनाडु तथा केरल के कुछ भागों में उतरी पूर्व मानसून से काफी वर्षा होती है।
मौसम :
सर्दी में मौसम सुहावना होता है। दिन मुख्य रूप से गर्म तथा रातें ठंडी होती है। कभी कभी रात के तापमान में गिरावट आने के कारण घना कोहरा भी पड़ता है। मैदानी भागों में शीतलहर के प्रभाव के कारण तुषार पड़ता है।
आशा है कि यह उत्तर आपकी मदद करेगा।।।।।