Hindi, asked by tanmaybhere100, 1 year ago

‘शादी-ब्याह में रुपये-पैसों से संबंधित होने वाले लेन-देन’ के संदर्भ में अपने विचार लिखिए ।

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Answered by AbsorbingMan
75

शादी-ब्याह में रुपये-पैसों से संबंधित होने वाले लेन-देन को दहेज़ के नाम से जाना जाता है ।

दहेज प्रथा हिंदू समाज की नवीनतम बुराइयों में से एक है। विगत बीस-पच्चीस वर्षों में यह बुराई इतनी बढ़कर समाने आई है कि इसका प्रभाव समाज की आर्थिक एवं नैतिक व्यवसाय की कमर तोड़ रहा है। इस प्रथा के पीछे लोभ की दुष्प्रवृत्ति है। दहेज प्रथा भारत के सभी-क्षेत्रों और वर्गों में व्याप्त है। विशेषकर व्यापारी वर्ग में इसका प्रकोप अधिक दिखाई देता है। अपनी लड़की की शादी में व्यक्ति सामर्थ्य से अधिक खर्च करता है और लड़की को उपहार के रूप मे अत्यधिक रूपया-पैसा आदि देने का प्रयत्न करता है। लड़की के भावी पति के लिए, उस लड़के के पिता की झोली नोटों से भरनी पड़ती है।

दहेज प्रथा को जीवित रखने वाले तो थोड़े-से व्यक्ति हैं परन्तु समाज पर इसका कुप्रभाव अत्यधिक पड़ रहा है। कितनी बार देखा जाता है कि पिता को अपनी सुंदर लड़की की शादी धन के अभाव के कारण किसी भोंडी शक्ल के लड़के के साथ करनी पड़ती है। अनेक बार सुनने मे आता है कि अमुक लड़की ने आत्महत्या कर ली।

अंत शादी-ब्याह में रुपये-पैसों से संबंधित होने वाले लेन-देन करना बिलकुल गलत है ।

Answered by bhatiamona
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शादी-ब्याह में रुपये-पैसों से संबंधित होने वाले लेन-देन’ के संदर्भ में अपने मेरे हिसाब से एक शर्म की बात है. शादी-ब्याह में रुपये-पैसों देना, वो शादी नहीं कहलाती, वो एक सोदा होता है जो लड़के वाले करते है. लड़के वालो को खुद ही मना कर देना चाहिए हमें कुछ नहीं चाहिए, ताकि लड़की वालो पे कोई दवाब न हो और वों ख़ुशी से अपनी लड़की की शादी कर सके. पहले ही लड़की वालो चिंतान्ये होती है और ये रुपये-पैसों के कारण उन्हें दवाब पड़ता है. कई लोग तो शादी तोड़ के चले जाते है. मेरे हिसाब से ये बहुत गलत है हमे इसे खतम करने का प्रयत्न करना चाहिए.

अगर समाज मैं एक लड़का, लड़की से शादी करता है तो 1 एक लड़की भी अपना सब कुछ छोड़ के आती है और कई रिश्ते निभाती है, इसलिए हमें ये सब रिवाज खत्म करने चाहिए. लड़की वालो को ज्यादा खर्चा नहीं करवाना चाहिए.

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