History, asked by singhsarvjeet9755, 10 months ago

शिवाजी के शासन प्रबन्ध के विषय में लिखिए।

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Answered by kumarprashantgro2009
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Answer:

Explanation:

शिवाजी (1630-1680 ई.) भारत के एक महान राजा एवं रणनीतिकार थे जिन्होंने 1674 ई. में पश्चिम भारत में मराठा साम्राज्य की नींव रखी। उन्होंने कई वर्ष औरंगज़ेब के मुगल साम्राज्य से संघर्ष किया। सन् 1674 में रायगढ़ में उनका राज्यभिषेक हुआ और वह "छत्रपति" बने। शिवाजी ने अपनी अनुशासित सेना एवं सुसंगठित प्रशासनिक इकाइयों कि सहायता से एक योग्य एवं प्रगतिशील प्रशासन प्रदान किया। उन्होंने समर-विद्या में अनेक नवाचार किये तथा छापामार युद्ध (Gorilla War) की नयी शैली (शिवसूत्र) विकसित की। उन्होंने प्राचीन हिन्दू राजनीतिक प्रथाओं तथा दरबारी शिष्टाचारों को पुनर्जीवित किया और फारसी के स्थान पर मराठी एवं संस्कृत को राजकाज की भाषा बनाया।

भारत के स्वतन्त्रता संग्राम में बहुत से लोगों ने शिवाजी के जीवनचरित से प्रेरणा लेकर भारत की स्वतन्त्रता के लिये अपना तन, मन धन न्यौछावर कर दिया।

Answered by anjumraees
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Answer:

शिवाजी ने एक स्वतन्त्र मराठा राज्य स्थापित किया था। उन्होंने अपने स्वराज्य का शासन-प्रबन्ध निम्नलिखित ढंग से किया।

Explanation:

शिवाजी ने एक स्वतन्त्र मराठा राज्य स्थापित किया था। उन्होंने अपने स्वराज्य का शासन-प्रबन्ध निम्नलिखित ढंग से किया

1. अष्ट प्रधान पूरे साम्राज्य का मुखिया राजा था। उसे 'छत्रपति' कहते थे। राजा के अनेक अधिकार थे। वह अपनी इच्छा से कोई भी शासन-संबंधी कार्य कर सकता था। शिवाजी ने अपनी सहायता के लिए आठ मन्त्री नियुक्त किए। इन मंत्रियों के समूहों को अष्ट प्रधान कहा जाता था। प्रधानमन्त्री को पेशवा कहते थे।

2. न्याय प्रबन्ध - शिवाजी बड़े न्यायप्रिय थे। उन्होंने न्याय के लिए पंचायतों की व्यवस्था की। वे अपील स्वयं सुनते थे। इस प्रकार हम कह सकते हैं कि शिवजी ने अपने स्वराज्य' का शासन प्रबन्ध बड़े अच्छे ढंग से चलाया।

3. सैनिक प्रबन्ध - शिवाजी एक कुशल सैनिक भी थे। इसलिए उन्होंने मजबूत सेना का संगठन किया। सैनिकों को नकद वेतन दिया जाता था। सेना में कड़ा अनुशासन था। कोई भी सैनिक युद्ध में स्त्री साथ नहीं ले जा सकता था, उन्हें जीते हुए प्रदेशों में भी स्त्रियों का अपमान करने की आज्ञा नहीं थी। सभी सैनिकों को यद में लती दर्द सम्पत्ति का हिसाब देना पडता था ।

4. भूमि का प्रबन्ध - सैनिकों में वेतन तथा अन्य खर्चा के लिए शिवाजी ने नए सिरे से भूमि का प्रबन्ध किया। उन्होंने सारी भूमि को फिर से नेपवाया और उपज के अनुसार भूमि-कर निश्चित किया। इसके अतिरिक्त मुगल क्षेत्रों से चौथ भी ली जाती थी।

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