शिवाजी ने राम सिंह के अस्तित्व को मिथ्या क्यों माना है
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छत्रपति शिवाजी को ताजनगरी में रखा गया था नजरबंद, इस बात के हैं तमाम सबूत Agra News
छत्रपति शिवाजी को ताजनगरी में रखा गया था नजरबंद, इस बात के हैं तमाम सबूत Agra Newsछत्रपति शिवाजी को ताजनगरी में रखा गया था नजरबंद, इस बात के हैं तमाम सबूत Agra News
कोठी मीना बाजार में टीले पर स्थित वह स्थान जहां छत्रपति शिवाजी को नजरबंद रखा गया था। उस जमाने में यहां फिदाई हुसैन की हवेली हुआ करती थी। इसका जिक्र इतिहास संकलन समिति के
20 मई के राजस्थानी पत्र के अनुसार औरंगजेब ने राम सिंह को शिवाजी को अपने घर से दूर रखने को कहा। इसके बाद शिवाजी को राम सिंह के शिविर के निकट स्थित फिदाई हुसैन की हवेली में रखा गया, जो कि शहर के बाहर टीले पर स्थित थी। जयपुर मैप में दर्ज हवेलियों में फिदाई हुसैन की हवेली का जिक्र नहीं है, जिससे इस तथ्य की पुष्टि होती है कि शिवाजी को बंदी बनाकर रखने वाली फिदाई हुसैन की हवेली राम सिंह की हवेली के निकट टीले पर थी। उन्हें यहां से जामा मस्जिद के निकट स्थित विट्ठलनाथ की हवेली ले जाने का आदेश हुआ, लेकिन इससे पूर्व वो अपने पुत्र के साथ फलों व मिठाई की टोकरी में बैठकर औरंगजेब की कैद से निकल गए।
अंग्रेजों ने बनाया था गर्वनर हाउस
शोध के अनुसार फिदाई हुसैन की हवेली यानी कोठी मीना बाजार के टीले पर बना मकान वर्ष 1803 में अंग्रेजों के कब्जे में आया। पुराने जर्जर मकान को तोड़कर वर्ष 1837 में नई कोठी बनाई गई, जिसे गवर्नर हाउस कहा गया। यहां तत्कालीन अंग्रेज गवर्नर का आवास बना, जो कि 1857 तक अंग्रेजों की संपत्ति रहा। वर्ष 1857 में प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के समय गर्वनर का आवास सैनिक छावनी में वर्तमान कमिश्नर आवास में स्थानांतरित कर दिया गया। कोठी मीना बाजार की नीलामी हुई और इसे राजा जयकिशन दास ने खरीदा। यह संपत्ति आज भी उन्हीं के नाम दर्ज है।
वाणिज्य कर कार्यालय थी राम सिंह की छावनी
शोध के अनुसार जयपुर हाउस स्थित उप्र राज्य वस्तु एवं सेवा कर (वाणिज्य कर) कार्यालय ही राम सिंह की छावनी था। यहां पुराने भवन के ऊपर ही वर्ष 1922 में यहां नया भवन बना। वर्ष 1939 में इसे सरकार को दिया गया।
इतिहास में भी मिलता है जिक्र
इतिहासविद राजकिशोर राजे ने बताया कि औरंगजेब के दरबारी खाफी खां ने अपनी किताब 'मुन्तखब-उल-लुबाबÓ में शिवाजी को राजा जयसिंह की हवेली के पास नगर से बाहर एक मकान में ठहराने का जिक्र किया है। इलियट और डाउसन ने इसका संपादन 'भारत का इतिहासÓ पुस्तक में किया है। लेखक राधेश्याम की किताब 'औरंगजेबÓ में शिवाजी को फिदाई हुसैन के निवास पर रखे जाने का उल्लेख किया है। यह निवास स्थान हाल ही में बनकर तैयार हुआ था और शाही बंदियों को रखने को उपयुक्त स्थल था।
एएसआइ ने करा दिया था किले में जेल बताकर संरक्षण
एएसआइ ने आगरा किले में वाटर गेट के पास शिवाजी की तथाकथित जेल बताते हुए वर्ष 2002 में संरक्षण कराया था। इस पर करीब 45 लाख रुपये खर्च किए गए थे। इतिहासविद राजकिशोर राजे ने वर्ष 2003-04 में इस पर आपत्ति दर्ज कराई थी। इसके बाद एएसआइ ने भूल सुधार करते हुए शिवाजी के आगरा किले में कैद नहीं रहने की बात मानी थी।
राज्यपाल ने संशोधित कराया सूचना पट
राज्यपाल रामनाईक ने आगरा किला में लगे कल्चरल नोटिस बोर्ड को संशोधित कराया था। दरअसल, नोटिस बोर्ड में लिखा था कि शिवाजी औरंगजेब के दरबार में बेहोश हो गए थे। राज्यपाल का मानना था कि शिवाजी जैसा पराक्रमी बेहोश नहीं हो सकता है। इसके बाद बोर्ड में परिवर्तन कराया गया।
प्रतिमा पर दी जा रही गलत जानकारी
आगरा किला के बाहर शिवाजी महाराज की प्रतिमा लगी हुई है। इस पर लगे बोर्ड में शिवाजी महाराज के 12 मई 1966 से 17 अगस्त, 1966 तक आगरा किला में नजरबंद रहने का उल्लेख किया गया है। 17 अगस्त, 1966 को उनके
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