श्वास नली में किसके बने व किस आवृत्ति के छल्ले पाये जाते हैं?
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श्वासनली की आन्तरिक सतह पर कुछ विशेष कोशिकाओं की परत होती है जिन से श्लेष्मा (mucus) रिसता रहता है। साँस के साथ शरीर में प्रवेश हुए अधिकतर कीटाणु, धूल व अन्य हानिकारक कण इस श्लेष्मा से चिपक कर फँस जाते हैं और फेफड़ों तक नहीं पहुँच पाते। अशुद्धताओं से मिश्रित यह श्लेष्मा या तो अनायास ही पी लिया जाता है, जिस से ये पेट में पहुँच कर वहां पर हाज़में के रसायनों द्वारा नष्ट कर दिया जाता है, या फिर बलग़म बन कर मुंह में उभर आता है जहाँ से इसे थूका या निग़ला जा सकता है।
श्वासनली को अकड़कर सांस के लिए खुला रखने के लिए श्वासनली के अंदर थोड़ी-थोड़ी दूरी पर १५ से २० उपस्थि (कार्टिलिज) के बने छल्ले होते हैं। इन सब छल्लों से जुड़ी हुई एक मांसपेशी होती है
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