वर्तुल पेशी तथा अरीय पेशी का कार्य क्या होता है?
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पेशीतंत्र (मस्क्युलर सिस्टम) में केवल ऐच्छिक पेशियों की गणना की जाती है, जो अस्थियों पर लगी हुई हैं तथा जिनके संकुचन से अंगों की गति होती है और शरीर हिल-डुल तथा चल सकता है। पेशी एक अस्थि से निकलती है, जो उसका मूलबंध कहलाता है और दूसरी अस्थि पर कंडरा द्वारा लगती है, जो उसका चेष्टाबिंदु होता है। कुछ ऐसी भी पेशियाँ हैं, जो कलावितान (aponeurosis) में लगती है। दोनों के बीच में लंगे लंबे मांससूत्र रहते हें, जिनकी संख्या बीच के भाग में अधिक होती है। जब पेशी संकुचन करती है तब खिंचाव होता है और जिस अस्थि पर उसका चेष्टाबिंदु होता है वह खिच कर दूसरी अस्थि के पास या उससे दूर चली जाती है। यह पेशी की स्थिति पर निर्भर करता है, किंतु संकुचन का रूप, अर्थात् पेशीसूत्रों में होनेवाले रासायनिक तथा विद्युत्परिवर्तनों या क्रियाओं का रूप, एक समान होता है।
शरीर की सभी अस्थियाँ (करोटि की आभ्यंतर अस्थियों को छोड़कर) ऐच्छिक पेशियों से छाई हुई हैं। इन पेशियों के समूह बन गए हैं। प्रत्येक क्रिया एक समूह के संकुचन का परिणाम होती है। केवल एक पेशी संकुचन नहीं करती। छोटी से छोटी क्रिया में एक या कई समूह काम करते हैं। ये क्रियाएँ विस्तार (extension), आकुंचन (flexion), अभिवर्तन (adduction), अपवर्तन (abduction) और घूर्णन (rotation) होती है। पर्यावर्तन (circumduction) गति इन क्रियाओं का सामूहिक फल होता है। उत्तानन (supination) और अवतानन (pronation) क्रिया करनेवाली पेशियाँ केवल अग्रबाहु में स्थित हैं। शरीर की पेशियों का नीचे संक्षेप में वर्णन किया जाता है।