श्वसन को ऊष्माक्षेपी अभिक्रया क्यों कहते हैं? वर्णन कीजिए।
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हमारे शरीर में निरंतर चयापचय गतिविधि होती रहती है जिसके लिए उर्जा की आवश्यकता होती है। भोजन करने के पश्चात् हमारा पाचन तंत्र भोजन को सूक्ष्म कणों में अलग कर देता है जिससे पोषक तत्वों का अवशोषण होता है। उन पोषक तत्वों को उर्जा में परिवर्तित करने की विधि को श्वसन कहते हैं। अतः श्वसन क्रिया के फलस्वरूप शरीर को आवश्यक उर्जा की प्राप्ति होती हैं। चूंकि श्वसन क्रिया के पश्चात् रासायनिक पोषक तत्व का विघटन होता है और उर्जा की उत्पत्ति होती है। अतः श्वसन उष्माक्षेपी अभिक्रिया है।
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उत्तर :
जैसा कि हम जानते हैं मनुष्य को जीवित रहने के लिए ऊर्जा की आवश्यकता पड़ती है जो मनुष्य को भोजन से प्राप्त होती है। खाद्य पदार्थ पाचन के दौरान छोटे-छोटे टुकड़ों में विभक्त हो जाता है। ब्रेड चावल आलू इत्यादि पदार्थों में पाए जाने वाला कार्बोहाइड्रेट पाचन की क्रिया के फलस्वरुप टूटकर ग्लूकोज में परिवर्तित हो जाता है तथा यह ग्लूकोस हमारे शरीर की कोशिकाओं में पाई जाने वाली ऑक्सीजन से मिलकर हमें ऊर्जा प्रदान करता है। यह सम्पूर्ण प्रक्रिया श्वसन कहलाती है।
अतः श्र्वसन की क्रिया में ऊर्जा का उत्सर्जन होता है। चूंकि, हम जानते हैं ऊष्माक्षेपी अभिक्रिया वह अभिक्रिया है जिसमें ऊष्मा उत्सर्जित होती है। अतः स्पष्ट है कि श्र्वसन की क्रिया ऊष्माक्षेपी अभिक्रिया है।
जैसा कि हम जानते हैं मनुष्य को जीवित रहने के लिए ऊर्जा की आवश्यकता पड़ती है जो मनुष्य को भोजन से प्राप्त होती है। खाद्य पदार्थ पाचन के दौरान छोटे-छोटे टुकड़ों में विभक्त हो जाता है। ब्रेड चावल आलू इत्यादि पदार्थों में पाए जाने वाला कार्बोहाइड्रेट पाचन की क्रिया के फलस्वरुप टूटकर ग्लूकोज में परिवर्तित हो जाता है तथा यह ग्लूकोस हमारे शरीर की कोशिकाओं में पाई जाने वाली ऑक्सीजन से मिलकर हमें ऊर्जा प्रदान करता है। यह सम्पूर्ण प्रक्रिया श्वसन कहलाती है।
अतः श्र्वसन की क्रिया में ऊर्जा का उत्सर्जन होता है। चूंकि, हम जानते हैं ऊष्माक्षेपी अभिक्रिया वह अभिक्रिया है जिसमें ऊष्मा उत्सर्जित होती है। अतः स्पष्ट है कि श्र्वसन की क्रिया ऊष्माक्षेपी अभिक्रिया है।
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