शब्द किसे कहते है?और शब्द के कितने रूप होते है?उदाहरण सहित लिखिए।
Answers
शब्द के रूप -
1. व्युत्पत्ति के आधार पर :
( i ). रूढ़ शब्द : वे शब्द जो किसी के योग से ना बने हो और उनके अलग होने पर कोई अर्थ न निकलता हो।
जैसे : कल = क + ल ।
( ii ). यौगिक : वे शब्द जो किसी सार्थक योग से बने हो, उन्हे योगरूढ़ कहते हैं।
जैसे : विद्यालय - विद्या + आलय।
( iii ) योगरूढ़ : ये वो शब्द होते हैं जिनके मेल से उस शब्द का कोई विशेष अर्थ निकले उसे योगरूढ़ कहते हैं।
जैसे : दशानन - दस है आनन जिसके।
2. उत्पत्ति के आधार पर :
( i ). तत्सम : ये शब्द संस्कृत से हिंदी में परिवर्तित किए जाते हैं।
जैसे : वायु, अग्नि।
( ii ). तद्भव : ये शब्द रूप बदलने के बाद हिंदी में आए है।
जैसे : सूरज, आग।
( iii ). देशज :
जैसे : थैला, बर्तन।
( iv ). विदेशी :
जैसे : डाक्टर।
3. प्रयोग के आधार पर :
( i ). विकारी : इनका शब्द - रूप परिवर्तित होता है।
जैसे : खाता है, खाती है।
( ii ). अविकारी : इनका शब्द रूप परिवर्तित नहीं होता।
जैसे : यहां, वहा।
4. अर्थ के आधार पर :
( i ). सार्थक : जिनका कोई अर्थ हो।
जैसे - रोटी, पानी।
( ii ). निरर्थक : जिनका कोई अर्थ न हो।
जैसे - रोटी - वोटी , पानी - वानी।
शब्द की परिभाषा ,रूप उदाहरण सहित :-
एक या एक से अधिक वर्णों से बनी हुई स्वतंत्र सार्थक ध्वनि ही शब्द कहलाती है। जैसे- एक वर्ण से निर्मित शब्द- न (नहीं) व (और) अनेक वर्णों से निर्मित शब्द-कुत्ता, शेर, कमल, नयन, प्रासाद, सर्वव्यापी, परमात्मा आदि |भारतीय संस्कृति में शब्द को ब्रह्म कहा गया है। एक से ज़्यादा शब्द मिलकर एक पूरा वाक्य बनाते है।
शब्द के भेद :-
भेद व्युत्पत्ति (बनावट) के आधार पर शब्द के निम्नलिखित भेद हैं :- रूढ़, यौगिक तथा योगरूढ़।
रूढ़ : - जो शब्द किन्हीं अन्य शब्दों के योग से न बने हों और किसी विशेष अर्थ को प्रकट करते हों तथा जिनके टुकड़ों का कोई अर्थ नहीं होता, वे रूढ़ कहलाते हैं।
यौगिक :- जो शब्द कई सार्थक शब्दों के मेल से बने हों, वे यौगिक कहलाते हैं।
योगरूढ़ :- वे शब्द, जो यौगिक तो हैं, किन्तु सामान्य अर्थ को न प्रकट कर किसी विशेष अर्थ को प्रकट करते हैं, योगरूढ़ कहलाते हैं।
उत्पत्ति के आधार पर शब्द-भेद
उत्पत्ति के आधार पर शब्द के निम्नलिखित 4भेद हैं-
तत्सम :- संस्कृत भाषा के शब्द तत्सम कहलाते हैं। जैसे-अग्नि, क्षेत्र, वायु, ऊपर, रात्रि, सूर्य आदि।
तद्भव :- जो शब्द रूप बदलने के बाद संस्कृत से हिन्दी में आए हैं वे तद्भव कहलाते हैं। जैसे-आग (अग्नि), खेत (क्षेत्र), रात (रात्रि), सूरज (सूर्य)नृप ,(राजा)आदि।
देशज :- जो शब्द क्षेत्रीय प्रभाव के कारण परिस्थिति व आवश्यकतानुसार बनकर प्रचलित हो गए हैं वे देशज कहलाते हैं। जैसे-पगड़ी, गाड़ी, थैला, पेट, खटखटाना आदि।
विदेशज :- विदेशी जातियों के संपर्क से उनकी भाषा के बहुत से शब्द हिन्दी में प्रयुक्त होने लगे हैं। ऐसे शब्द विदेशी अथवा विदेशज कहलाते हैं। जैसे-स्कूल, अनार, आम, कैंची, अचार, पुलिस, टेलीफोन, रिक्शा आदि
प्रयोग के आधार पर शब्द-भेद :- 1.विकारी शब्द 2.अविकारी शब्द
1-विकारी शब्द के चार भेद होते है
- संज्ञा
- सर्वनाम
- विशेषण
- क्रिया
अविकारी शब्द के चार भेद होते है
- क्रिया-विशेषण
- संबंधबोधक
- समुच्चयबोधक
- विस्मयादिबोधक
इन उपर्युक्त आठ प्रकार के शब्दों को भी विकार की दृष्टि से दो भागों में बाँटा जा सकता है- 1. विकारी 2. अविकारी
1. विकारी शब्द : जिन शब्दों का रूप-परिवर्तन होता रहता है वे विकारी शब्द कहलाते हैं। जैसे-कुत्ता, कुत्ते, कुत्तों, मैं मुझे, हमें अच्छा, अच्छे खाता है, खाती है, खाते हैं। इनमें संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण और क्रिया विकारी शब्द हैं।
2. अविकारी शब्द : जिन शब्दों के रूप में कभी कोई परिवर्तन नहीं होता है वे अविकारी शब्द कहलाते हैं। जैसे-यहाँ, किन्तु, नित्य और, हे अरे आदि। इनमें क्रिया-विशेषण, संबंधबोधक, समुच्चयबोधक और विस्मयादिबोधक आदि हैं।
अर्थ के आधार पर भेद
पर्यायवाची
विपरातार्थक शब्द
समरूप भिन्नार्थक या श्रुतिसम भिन्नार्थक
अनेक शब्दों के लिए एक शब्द
अनेकार्थी शब्द
एकार्थक प्रतीत होने वाले शब्द
अर्थ के आधार पर शब्द के भेद – पर्यायवाची शब्द
वे शब्द जो समान अर्थ प्रकट करते हैं, पर्यायवाची शब्द कहलाते हैं | इन्हें समानार्थी शब्द भी कहते हैं |
सूर्य – रवि, सूरज, भास्कर, आदित्य |
ईश्वर – परमात्मा, प्रभु, भगवान, जगदीश |
विपरातार्थक शब्द (विलोम) :- विपरीत अर्थ प्रकट करनेवाले शब्दों को विपरातार्थक शब्द विलोम) शब्द कहते हैं |जैसे :-
शब्द – विलोम
प्रश्न – उत्तर
समरूप भिन्नार्थक या श्रुतिसम भिन्नार्थक :- कुछ शब्द ऐसे होते हैं, जो सुनने या पढ़ने में तो समान लगते हैं, परंतु उनके अर्थ बिलकुल अलग होते हैं | इन शब्दों को समरूप भिन्नार्थक शब्द कहते हैं | जैसे :-
शब्द – अर्थ
1. अनल – आग
अनिल – वायु
2. मेल – एकता
मैल – गंदगी
अनेक शब्दों के लिए एक शब्द :- जिन शब्दों का प्रयोग पूरे वाक्य या अनेक शब्दों के स्थान पर किया जाता है उन्हें शब्द समूह के लिए एक शब्द या अनेक शब्दों के लिए एक शब्द कहा जाता है | जैसे :-
अनेक शब्द – एक शब्द
1. जिसके आने की कोई तिथि न हो – अतिथि
2. जिसका आदि न हो – अनादि
अनेकार्थी शब्द :- ऐसे शब्द जिनके एक से अधिक अर्थ होते हैं, वे अनेकार्थी शब्द कहलाते हैं | जैसे:-
कनक - सोना, गेहूँ, धतूरा आदि |
तप - तपस्या, गरमी, धूप |
एकार्थक प्रतीत होने वाले शब्द :- ऐसे शब्द जो देखने में एक-दूसरे के पर्यायवाची लगते हैं, लेकिन उनके अर्थ में भिन्नता होती है, वे एकार्थक प्रतीत होने वाले शब्द कहलाते हैं | जैसे
ईर्ष्या – दूसरों की उन्नति देखकर मन में होनेवाली जलन |
अपराध – सरकारी क़ानून तोड़ना |