shahar me mahilao ke prati badh rahe apradho ke prati
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hello :-
your topic - " शहर में महिलाओं के प्रति बढ़ता अफराध ।"
मैं एक लड़की हू या फिर खिलौना? क्यों तुम लड़के खेलते हो हमारे साथ?
कब तक सहेंगी महिलाएं इन समाज मे जुर्म ? क्या इस देश मे महिलाओं का कोई स्थान नही ? क्यों आज की यह मॉडर्न पीढ़ी अपनी सोच नही बदलती? यह कहना गलत नही होगा महिलाएं इस सदी में सिर्फ एक साबुन बन चुकी है , जिन्हें पुरुष अपनी देह में लगाने का इस्तेमाल करना चाहते है तथा करते भी है।
आए दिन महिलाओं पर होने वाली अपराधो में तेजी से बढ़ोतरी हो रही है। इसमें सबसे ज्यादा मामले दुष्कर्म के है । सालो पहले दिल्ली में हुए निर्भया सामूहिक दुष्कर्म मामले ने भारत समेत पूरी दुनिया को झकझोर कर रख दिया था। उस घटना के बाद जिस तरह पूरा विश्व एक जूट होकर न्याय के लिए खड़ा हो गया था , उस समय ऐसा लगा कि मानो देश से से ऐसे अपराध खत्म हो जाएंगे , लेकिन ऐसा नही हुआ और रोजाना इस तरह के अपराधों में बढ़ोतरी ही दर्ज की गई।
ऐसे में यह लगता है कि इन अपराधों को रोकने का एक ही उपाय है कि हमे महिलाओं के प्रति अपनी सोच को बदलना होगा और उन्हें समाज मे बराबर का हक मिलना चाहिए।
भारत जैसे देश मे कहा जाता है कि जहां नारियो की इज्जत होती है, वहां भगवान का वाश होता है। फिर भी यहा महिलाओं पर अन्य किसी देश से ज्यादा अपराध होता है।
और अब तोह लोग इतने दरिंदे होगए है कि अपनी प्यास भुझने के लिए छोटी बच्चों को भी नही समझते है। रिश्ते नाते सब भूल जाते है। आज अपना भारत ऐसे हैवान कामो की गिनती में आता है। एक तरफ तोह उन्हें दुर्गा का रूप कहकर पूजा जाता है और दूसरी तरफ प्यास बुझाने में इस्तेमाल करते है।
जबतक सारे भारतीय एक जूट होकर दुसरो की बेटियों और बहनों की इज़्ज़त नही करेंगे और उनकी सम्मान की रक्षा के लिए कदम नही उठाएंगे तब तक , भारत की कोई महिलाएं शुरक्षित नही है।