शक्ल को हाथों के स्पर्श की गरिमा और महिमा कहकर कवि क्या व्यक्त करना चाहता है
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हममें से अधिकतर लोग अपना खाना खाते हुए शायद ही कभी इस बात पर गौर करते हैं जिस फसल के कारण हमें भोजन मिलता है वह फसल कैसे उपजती है। इस कविता में कवि ने फसल में छिपे हुए गुणों और छिपी हुई ऊर्जा के बारे में बताया है।
कवि कहता है कि फसल में एक दो नहीं बल्कि ढ़ेर सारी नदियों के पानी का जादू समाया हुआ होता है। फसल में लाखों करोड़ों हाथों के स्पर्श की गरिमा भरी हुई होती है; क्योंकि फसल को तैयार करते समय असंख्य मजदूरों के हाथ लगते हैं। फसल में हजारों खेतों की मिट्टी का गुण धर्म भरा हुआ होता है।
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