Hindi, asked by AnshikaRathino1, 7 months ago

शक्ति मिशन कार्यक्रम के अन्तर्गत निबंध लेखन प्रतियोगिता
बालिकाओं की शिक्षा पर महत्व अथवा भ्रूण हत्या के कारण समाज पर पड़ने वाले कुप्रभाव।
दोनों में से किसी एक विषय पर हिन्दी अथवा अंग्रेजी भाषा में लगभग 300 शब्दों में निबंध लिखिए​

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Answered by lalitnit
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कन्या भ्रूण हत्या क्या है

गर्भ से लिंग परीक्षण जाँच के बाद बालिका शिशु को हटाना कन्या भ्रूण हत्या है। केवल पहले लड़का पाने की परिवार में बुजुर्ग सदस्यों की इच्छाओं को पूरा करने के लिये जन्म से पहले बालिका शिशु को गर्भ में ही मार दिया जाता है। ये सभी प्रक्रिया पारिवारिक दबाव खासतौर से पति और ससुराल पक्ष के लोगों के द्वारा की जाती है। गर्भपात कराने के पीछे सामान्य कारण अनियोजित गर्भ है जबकि कन्या भ्रूण हत्या परिवार द्वारा की जाती है। भारतीय समाज में अनचाहे रुप से पैदा हुई लड़कियों को मारने की प्रथा सदियों से है।

लोगों का मानना है कि लड़के परिवार के वंश को जारी रखते हैं जबकि वो ये बेहद आसान सी बात नहीं समझते कि दुनिया में लड़कियाँ ही शिशु को जन्म दे सकती हैं, लड़के नहीं।

अल्ट्रासाउंड स्कैन जैसी लिंग परीक्षण जाँच के बाद जन्म से पहले माँ के गर्भ से लड़की के भ्रूण को समाप्त करने के लिये गर्भपात की प्रक्रिया को कन्या भ्रूण हत्या कहते हैं। कन्या भ्रूण या कोई भी लिंग परीक्षण भारत में गैर-कानूनी है। ये उन अभिवावकों के लिये शर्म की बात है जो सिर्फ बालक शिशु ही चाहते हैं साथ ही इसके लिये चिकित्सक भी खासतौर से गर्भपात कराने में मदद करते हैं।

कन्या भ्रूण हत्या के कारण

कन्या भ्रूण हत्या शताब्दियों से चला आ रहा है, खासतौर से उन परिवारों में जो केवल लड़का ही चाहते हैं। इसके पीछे विभिन्न धार्मिक, सामाजिक, आर्थिक और भावनात्मक कारण भी है। अब समय बहुत बदल चुका है हालांकि, विभिन्न कारण और मान्यताएं कुछ परिवार में आज भी जारी है।

  • आमतौर पर माता-पिता लड़की शिशु को टालते हैं क्योंकि उन्हें लड़की की शादी में दहेज़ के रुप में एक बड़ी कीमत चुकानी होती है।
  • ऐसी मान्यता है कि लड़कियां हमेशा उपभोक्ता होती हैं और लड़के उत्पादक होते हैं। अभिवावक समझते हैं कि लड़का उनके लिये जीवन भर कमायेगा और उनका ध्यान देगा जबकि लड़की की शादी होगी और चली जायेगी।
  • ऐसा मिथक है कि भविष्य में पुत्र ही परिवार का नाम आगे बढ़ायेगा जबकि लड़किया पति के घर के नाम को आगे बढ़ाती हैं।
  • अभिवावक और दादा-दादी समझते हैं कि पुत्र होने में ही सम्मान है जबकि लड़की होना शर्म की बात है।
  • परिवार की नयी बहु पर लड़के को जन्म देने का दबाव रहता और इसी वजह से लिंग परीक्षण के लिये उन्हें दबाव बनाया जाता है और लड़की होने पर जबरन गर्भपात कराया जाता है।
  • लड़की को बोझ समझने की एक मुख्य वजह लोगों की अशिक्षा, असुरक्षा और गरीबी है।
  • विज्ञान में तकनीकी उन्नति और सार्थकता ने अभिवावकों के लिये इसको आसान बना दिया है।

केवल इसलिये कि जन्म लेने वाला बच्चा एक एक लड़की है, माँ के गर्भ से गर्भावस्था के 18 हफ्तों बाद स्वस्थ कन्या के भ्रूण को हटाना कन्या भ्रूण हत्या है। माता-पिता और समाज एक लड़की को उनके ऊपर एक बोझ मानते है और समझते है कि लड़कियां उपभोक्ता होती हैं जबकि लड़के उत्पादक होते हैं। प्राचीन समय से ही लड़कियों के बारे में भारतीय समाज में बहुत सारे मिथक हैं कि लड़कियां हमेशा लेती हैं और लड़के हमेशा देते हैं। वर्षों से समाज में कन्या भ्रूण हत्या की कई वजहें रहीं है।

हालांकि, नियमित तरीके से उठाये गये कुछ कदमों के द्वारा इसे हटाया जा सकता है:

  • चिकित्सों के लिये मजबूत नीति संबंधी नियमावली होना चाहिये।
  • हरेक को लिंग परीक्षण को हटाने के पक्ष में होना चाहिये और समाज में लड़कियों के खिलाफ पारंपरिक शिक्षा से दूर रहना चाहिये।
  • दहेज प्रथा जैसी समाजिक बुराईयों से निपटने के लिये महिलाओं को सशक्त होना चाहिये।
  • सभी महिलाओं के लिये तुरंत शिकायत रजिस्ट्रेशन प्रणाली होनी चाहिये।
  • आम लोगों को जागरुक करने के लिये कन्या भ्रूण हत्या जागरुकता कार्यक्रम होना चाहिये।
  • एक निश्चित अंतराल के बाद महिलाओं (महिलाओं की मृत्यु, लिंग अनुपात, अशिक्षा और अर्थव्यवस्था में भागीदारी के संबंध में,) की स्थिति का मूल्यांकन होना चाहिये।

Answered by parisbabu79
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Answer:

and I am not great ......

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