‘शरीरमाद्यं खलु धर्म साधनम्’ का अर्थ स्पष्ट कीजिए।
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sharir dharm paalan ka pehla saadhan h
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‘शरीरमाद्यं खलु धर्म साधनम्’ इन पंक्तियों का अर्थ इस प्रकार है...
‘शरीरमाद्यं खलु धर्म साधनम्’
अर्थ — इसका अर्थ है कि शरीर की सारे कर्तव्यों को पूरा करने का एकमात्र साधन है। इसलिए शरीर को स्वस्थ रखना बेहद आवश्यक है, क्योंकि सारे कर्तव्य और कार्यों की सिद्धि इसी शरीर के माध्यम से ही होनी है। अतः इस अनमोल शरीर की रक्षा करना और उसे निरोगी रखना मनुष्य का सर्वप्रथम कर्तव्य है। ‘पहला सुख निरोगी काया’ यह स्वस्थ रहने का मूल-मंत्र है।
Explanation:
यह उपनिषदों के पाँच महत्वपूर्ण वचनों में से एक वचन है। उपनिषदों के पाँच वचन अत्यंत महत्वपूर्ण हैं, जो मनुष्य के लिए अति आवश्यक हैं। भारतीय वैदिक संस्कृति के महत्वपूर्ण ग्रंथ रहे हैं। मुख्य उपनिषद 108 माने गए हैं।
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