शरद पूर्णिमा त्योहार के बारे में चर्चा कीजिए conversation
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'शरद पूर्णिमा' हिन्दुओं का प्रसिद्द त्यौहार है। शरदीय नवरात्र के बाद पड़ने वाली पूर्णिमा को 'शरद पूर्णिमा' कहा जाता है।
मान्यता है कि आश्विन शुक्ल पक्ष में पड़ने वाली पूर्णिमा के दिन चंद्रमा से अमृत वर्षा होती है। इस दिन रात में खीर बनाकर खुले आसमान के नीचे रखकर सुबह उसका सेवन करने से सभी रोग दूर हो जाते हैं।
शरद पूर्णिमा के दिन सायंकाल लक्ष्मी पूजन होता है। नवरात्र में मां दुर्गा की स्तुति के बाद अगले वर्ष आर्थिक सुदृढ़ता की कामना के लिए शरद पूर्णिमा के दिन मां लक्ष्मी की पूजा होती है। मां दुर्गा की प्रतिमा बनाने वाला कारीगर ही लक्ष्मी की प्रतिमा बनाता है। पुरानी लक्ष्मी प्रतिमा का विसर्जन करके नई प्रतिमा को अगले वर्ष तक संभालकर रखा जाता है। मां लक्ष्मी को पांच तरह के फल व् सब्जियों के साथ नारियल भी अर्पित किया जाता है। मंदिरों में भी विशेष पूजा-अर्चना होती है।
शरद पूर्णिमा
शरत पूर्णिमा बारह पूर्णिमाओं में सबसे श्रेष्ठ और सुन्दर Iआश्विन माह के पूर्ण होने पर जो पूर्णिमा आती है वही शरद पूर्णिमा है Iआश्विन 15 दिनों के बाद से जो चाँदनी धरा पर छाती है वह शरद चाँदनी है I शरत चांदनी का वर्णन संस्कृत हिंदी सभी के कवियों ने किया है I एक शास्त्रीय गायन है
"कैसी निकसी चाँदनी
शरत रात गयी मत विकल बही ,
पिहू पिहू टेरत रागिनी "
शरत पूर्णिमा के ही दिन श्री कृष्ण ने वृन्दावन में रास रचाया था I आज के दिन भी हम इसे एक त्यौहार के रूप में मानते हैं I बिहार और बंगाल में आज लक्ष्मी पूजा होती है जिसे कोजागरी पूर्णिमा कहते हैं I
पद्माकर ने कहा था ,
तालन पे, ताल पे ,तमालन पे, मालन पे ,
वृन्दावन विथीन वहार वंशी वट पे ,
कहकर पद्माकर अखंड रास मंडप पे ,
मंडित उमंडी महा कालिंद के तट पे ,
पायी छवि आज ही सरद जुन्हाई जिमी,
पायी छवि आज ही कन्हाई के मुकुट पे II