Shayama ka Charita chitran sandhe
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श्यामा का चरित्र संदेह हि था नहीं था यही कारण था कि वह अपने जीवन में बहुत बड़े श्यामा के रूप में उन्हें तथा एक शाम रंग होने के कारण सर में जीवन में अनेक प्रकार के लोगों के अत्याचारों को सुना एवं फिर भी अपने जीवन के अत्याचारों को लेते हुए जीवन में बहुत सारी असफलताओं को भी सफलता में परिणत किया
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