Shiksha ka badalta swaroop
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शिक्षा का स्वरुप बिगड़ गया है पहले शिक्षा का रूप कुछ और था और आज कुछ और हो गया है शिक्षा का वास्तविक अर्थ सीखना होता है। भारत में वर्तमान शिक्षा प्रणाली ब्रिटिश प्रतिरूप पर आधारित है जिसे सन १८३५ में लागू किया गया. उस समय से आज में बहुत परिवर्तन आ गया है। आजकल पढ़ाई मोबाइल से हो गयी है। सारी जानकारी नेट पर उपलबध है सभी के लिए शिक्षा प्राप्त करना बहुत जरुरी है अगर व्यक्ति शिक्षित नहीं होगा तो तरक्की नहीं कर पायेगा।
आज शिक्षा के मायने बदल गए हैं शिक्षा का बाजारीकरण हो गया है। लोगों को मोटी- मोटी फीस देनी पड़ती है सरकारी स्कूलों में कोई पढ़ना नहीं चाहता है। प्राइवेट स्कूलों में लोग डोनेशन देकर पढ़ा रहे हैं। वह पढ़ाई के नाम पर प्राइवेट कोचिंग में बच्चों को बुलाते हैं। अभिभावावक पर दोहरा खर्चा पड़ता है। पढ़ाई के नाम पर आज यह व्यवसाय बन गया है। अध्यापकों को पढ़ाना नहीं आ रहा है, कुछ लोग तो अपनी जगह किसी और को थोड़ा पैसा देकर बच्चो को पढ़वा रहे हैं। शिक्षा का स्वरूप बिल्कुल बदल गया है। गांव में आज भी पढ़ाई जीरो है। सरकार जितने भी प्रयास कर ले शिक्षा से व्यक्ति पारंगत बनता है व्यक्ति जन्म से लेकर मृत्यु तक सीखता है। स्कूल की पढ़ाई तो एक समय आकर खत्म हो जाती है समाज के साथ चलना हो तो कदम- कदम पर सीखना होगा शिक्षा का उद्देश्य युवा पीढ़ी को देश का कर्णधार बनाना है।
सबसे दुखद बात यह है कि आज भी महिलाओं और लड़कियों को शिक्षा से वंचित रखा जाता है शिक्षा के नाम पर जो खिलवाड़ हो रहा है वो दुखद है। कहा जाता है कि एक लड़की पढ़ी लिखी हो तो एक परिवार पढ़ जाता है पर ये लागू बहुत कम जगह है शिक्षा हमें सभ्य और बेहतर बनाती है, यह कोई नहीं समझता लड़कों को पढ़ाने के लिए आज भी लोग उन्हें इंग्लिश मीडियम में डाल देते हैं जबकि लड़कियों को घर का काम सिखाते हैं। आज कंप्यूटर का जमाना है फिर इस से बच्चे वंचित हैं कैसे होगा बच्चो का विकास यह सोचने का विषय है। शिक्षा बहुत महंगी भी हो गयी है तो ऐसा न हो कि शिक्षा कुछ वर्गों तक सीमित रह जाये।
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