shlok starting from prakash. in sanskrit
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षड् दोषा: पुरुषेणेह हातव्या भूतिमिच्छता।
निद्रा तन्द्रा भयं क्रोध आलस्यं दीर्घसूत्रता।।
अर्थ : वैभव और उन्नति चाहने वाले पुरुष को ये छः दोषो का त्याग कर देना चाहिए : नींद, तन्द्रा (ऊंघना), डर, क्रोध, आलस्य तथा दीर्घ शत्रुता (कम समय लगने वाले कार्यो में अधिक समय नष्ट करना)।
उद्यमः साहसं धैर्यं बुद्धिः शक्तिः पराक्रमः।
षडेते यत्र वर्तन्ते तत्र दैवं सहायकृत्।।
अर्थ : उधम (जोखिम लेने वाला व्यक्ति), साहस, धैर्य, बुद्धि, शक्ति और पराक्रम - यह 6 गुण जिस भी व्यक्ति के पास होते हैं, भगवान भी उसकी मदद करते हैं।
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