Hindi, asked by Darshan1231, 1 year ago

short essay on natural disaster in hindi

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Answered by AryanDeo
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एक 'प्राकृतिक आपदा' पृथ्वी की प्राकृतिक प्रक्रियाओं से उत्पन्न एक प्रमुख घटना है। यह जीवन और संपत्ति का एक बड़ा नुकसान का कारण बनता है ऐसे आपदाओं के दौरान, जो लोग गाया जाता है, पैदल-बदले और बेघर होते हैं, उनकी संख्या बढ़ती जा रही है। यहां तक ​​कि एक प्राकृतिक आपदा का सामना करने वाली जगह की अर्थव्यवस्था भी प्रभावित हो जाती है।
यह सच है कि प्राकृतिक आपदा एक प्राकृतिक प्रक्रिया है और हम इसे रोक नहीं सकते लेकिन कुछ तैयारी करके, हम जीवन और संपत्ति के नुकसान की मात्रा को कम कर सकते हैं। सबसे पहले हमें ग्लोबल वार्मिंग को कम करना चाहिए जो कि सभी समस्याओं का मूल कारण है। हमें बीमा पॉलिसी भी होनी चाहिए ताकि किसी भी तरह के आपदा के बाद हमारे जीवन को फिर से बनाया जा सके। वैज्ञानिकों को अग्रिम चेतावनी प्रणालियों को आविष्कार करना चाहिए। जबकि निर्माण हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि यह भूकंप का सामना करने के लिए काफी मजबूत है। हमें किसी भी आपदा के दौरान लोगों को निकालने के बारे में शिक्षित करना चाहिए।
इसलिए, कुछ सावधानी बरतने से हम प्राकृतिक आपदाओं के साथ कर सकते हैं।
hope this will help you...

tiashasha: you have copied from this site
AryanDeo: no i have read that carefully
AryanDeo: it is not copied.
AryanDeo: please check once
tiashasha: http://hindi-essay.blogspot.in/2016/07/short-essay-on-natural-disaster-in.html
tiashasha: check this
AryanDeo: but again i will say i have not copied...i writevthis with the help of my old hindi notebook
AryanDeo: but ok
AryanDeo: lets end this matter
AryanDeo: i will take care...
Answered by Anonymous
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Answer:

कुदरत के पास कुछ परिवर्तनकारी शक्तियाँ है जो हमारे स्वाभाव को उसके अनुसार बदलते है। रोगी को अपनी बीमारी से बाहर निकलने के लिये प्रकृति के पास शक्ति है अगर उनको जरुरी और सुहावना पर्यावरण उपलब्ध कराया जाये। हमारे स्वस्थ जीवन के लिये प्रकृति बहुत जरुरी है। इसलिये हमें इसको खुद के लिये और अगली पीढ़ी के लिये संरक्षित रखना चाहिये। हमे पेड़ों और जंगलों को नहीं काटना चाहिये, हमें अपने गलत कार्यों से महासागर, नदी और ओजोन परत को नुकसान नहीं पहुँचाना चाहिये, ग्रीन हाउस गैस को नहीं बढ़ाना चाहिये तथा अपने निजी स्वार्थों के कारण पर्यावरण को क्षति नहीं पहुँचाना चाहिये। हमें अपने प्रकृति के बारे में पूर्णत: जागरुक होना चाहिये और इसको बनाए रखने का प्रयास करना चाहिये जिससे धरती पर जीवन हमेशा संभव हो सके।

ऐसी कोई भी प्राकृतिक घटना जिससे मनुष्य के जीवन या सामग्री को हानि पहुंचे प्राकृतिक आपदा कहलाता है। सदियों से प्राकृतिक आपदायें मनुष्य के अस्तित्व के लिए चुनौती रही है।

जंगलो में आग, बाढ़, हिमस्खलन, भूस्खलन, भूकम्प, ज्वालामुखी, सुनामी, चक्रवाती तूफ़ान, बादल फटने जैसी प्राकृतिक आपदायें बार-बार मनुष्य को चेतावनी देती है। वर्तमान में हम प्राकृतिक संसाधनो का अंधाधुंध इस्तेमाल कर रहे हैं जिससे प्रकृति का संतुलन बिगड़ रहा है।

ये मनुष्य के मनमानी का ही नतीजा है। इन आपदाओं को ‘ईश्वर का प्रकोप या गुस्सा‘ भी कहा जाता है। आज मनुष्य अपने निजी स्वार्थ के लिए वनों, जंगलो, मैदानों, पहाड़ो, खनिज पदार्थो का अंधाधुंध दोहन कर रहा है। उसी के परिणाम स्वरुप प्राकृतिक आपदायें दिन ब दिन बढ़ने लगी है।

हमे सावधानीपूर्वक प्राकृतिक संसाधनो का इस्तेमाल करना चाहिये। ऐसी आपदाओं के कारण भारी मात्रा में जान-माल की हानि होती है।

अगर हम भारत और आस पास के कुछ बड़े प्राकृतिक आपदाओं की बात ही करें तो –

  1. 1999 में ओड़िसा में महाचक्रवात आया जिसमे 10 हजार से अधिक लोग मारे गये।
  2. 2001 का गुजरात भूकंप कोई नही भूल सकता है। इसमें 20 हजार से अधिक लोग मारे गये। यह भूकंप 26 जनवरी 2001 में आया था। इसमें अहमदाबाद, राजकोट, सूरत, गांधीनगर, कच्छ, जामनगर जैसे जिले पूरी तरह नष्ट हो गये।
  3. 2004 में हिन्द महासागर में सुनामी आ गयी। इसमें अंडमान निकोबार द्वीप समूह, श्रीलंका, इंडोनेशिया, दक्षिण भारत प्रभावित हुए। इसमें 2 लाख से अधिक लोगो की जान चली गयी।
  4. 2014 में जम्मू कश्मीर में भीषण बाढ़ आई जिसमे 500 से अधिक लोग मारे गये।

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