Short essay on planting tress decreases pollution in hindi (150words)
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Yes planting trees cosume all the waste around the atmosphere and thus reduces it
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पर्यावरण प्रदूषण उस स्थिति को कहते हैं जब मानव द्वारा पर्यावरण में अवांछित तत्वों एवं ऊर्जा का उस सीमा तक संग्रहण हो जो कि पारिस्थितिकी तंत्र द्वारा आत्मसात न किये जा सकें।
हमारी धरती आज बहुत समस्याओं से जूझ रही है I इसमें बढ़ता प्रदूषण एक गम्भीर समस्या है I आज जल प्रदूषण, थल प्रदूषण, वायु प्रदूषण और ध्वनि प्रदूषण बहुत विराट समस्या बन चुके हैं I
आज हमारे देश की नदियां बहुत प्रदूषित हो चुकी हैं, नदियों के किनारे लगे कारखाने अपना सारा कूड़ा नदियों मैं फैंक देते हैं I इससे सारी नदियां बहुत प्रदूषित हो चुकी है, कभी जीवनदायनी कहलाने वाली गंगा आज जहरीली हो चुकी है I देश में कारखानों और गाड़ियों की बढ़ती संख्य़ा से हवा भी जहरीली हो गयी है जिसके कारण लोगों में बहुत सारी बीमारियां उत्पन्न हो रही हैं I
वायु प्रदूषण और जल प्रदूषण की वजह से लोग आकस्मिक मौत मर रहे हैं I देश में प्लास्टिक के प्रयोग से मिटटी भी प्रदूषित हो रही है I इसकी उपजाऊ क्षमता बहुत कम हो रही है, फसल में रसायनिक खाद और हानिकारक कैमिकलों के प्रयोग से मिटटी की उर्वरा क्षमता बहुत कमजोर हो गयी है I
हमारी धरती आज बहुत समस्याओं से जूझ रही है I इसमें बढ़ता प्रदूषण एक गम्भीर समस्या है I आज जल प्रदूषण, थल प्रदूषण, वायु प्रदूषण और ध्वनि प्रदूषण बहुत विराट समस्या बन चुके हैं I
आज हमारे देश की नदियां बहुत प्रदूषित हो चुकी हैं, नदियों के किनारे लगे कारखाने अपना सारा कूड़ा नदियों मैं फैंक देते हैं I इससे सारी नदियां बहुत प्रदूषित हो चुकी है, कभी जीवनदायनी कहलाने वाली गंगा आज जहरीली हो चुकी है I देश में कारखानों और गाड़ियों की बढ़ती संख्य़ा से हवा भी जहरीली हो गयी है जिसके कारण लोगों में बहुत सारी बीमारियां उत्पन्न हो रही हैं I
वायु प्रदूषण और जल प्रदूषण की वजह से लोग आकस्मिक मौत मर रहे हैं I देश में प्लास्टिक के प्रयोग से मिटटी भी प्रदूषित हो रही है I इसकी उपजाऊ क्षमता बहुत कम हो रही है, फसल में रसायनिक खाद और हानिकारक कैमिकलों के प्रयोग से मिटटी की उर्वरा क्षमता बहुत कमजोर हो गयी है I
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