Short hindi speech about family
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मेरा परिवार पर निबंध 6 (400 शब्द)
मेरा परिवार दुनिया का सबसे प्यारा परिवार है और समाज की एक महत्वपूर्ण इकाई है। अपने सदस्यों के लिये एक छोटा और बड़ा परिवार बहुत महत्वपूर्ण होता है और समाज की मजबूत इकाई के रुप में देखा जाता है क्योंकि कई परिवार एक साथ एक अच्छा समाज बनाती हैं। एक परिवार बच्चों के लिये पहला स्कूल बनता है जहां वो सभी संस्कृति, परंपरा और सबसे ज़रुरी आधारभूत पारिवारिक मूल्यों को सीखते हैं। परिवार में बच्चों को अच्छा व्यवहार और आदतें सीखाने में परिवार ही मुख्य भूमिका निभाता है। समाज में एक बेहतर चरित्र के व्यक्ति को बनाने में ये मदद करता है। मैं वास्तव में बहुत सौभाग्याशाली हूं कि एक छोटे प्यारे परिवार में पैदा हुआ हूं जहां मैं सब कुछ बचपन में ही सीख लेता हूं।
दरअसल, मैं 6 सदस्यों वाले मध्यम परिवार से संबंध रखता हूं (माता, पिता, दादा-दादी, मैं और मेरी बहन)। हम सभी अपने दादा-दादी की बात का अनुसरण करते हैं क्योंकि वो परिवार के मुखिया हैं। हम सच में परिवार में उनके प्रधान पद की बहुत इज्जत करते हैं और आनन्द उठाते हैं। वो एक महान इंसान हैं क्योंकि उन्होंने अपने समय में कई रोमांचक कार्य किये हैं। वो हमेशा हमारे भले के लिये सोचते हैं और हमारे लिये सही फैसला करते हैं। सभी पारिवारिक मामलों में उनका फैसला ही अंतिम होता है। वो डाइनिंग टेबल के मुख्य कुर्सी पर बैठते हैं। मेरे दादा-दादी बहुत ही शांत और दोस्ताना व्यक्ति हैं हालांकि हम में से कोई भी उनके खिलाफ जाने की कोशिश नहीं करता है। वो बहुत ही प्रभावशाली इंसान हैं प्यारी बातचीत से वो सभी का दिल जीत लेते हैं। वो बहुत बूढ़े हैं फिर भी हमारे गृहकार्यों में मदद करते हैं क्योंकि वो शिक्षक थे। जीवन में सफल होने के कई तरीकों के बारे में उन्होंने हमें सीखाया जैसे अनुशासन, समयपालन, स्वच्छता, नैतिकता, कड़ी मेहनत और निरंतरता।
मेरी दादी माँ भी एक प्यारी महिला हैं और वो हर रात हमलोगों को अच्छी कहानियाँ सुनाती हैं। मेरे पिता एक स्कूल में प्रधानाध्यापक हैं और अनुशासनप्रिय व्यक्ति हैं। वो बहुत समयनिष्ठ, समझदार और स्वाभाव से परिश्रमी हैं। उन्होंने भी हमें सिखाया है कि जब तुम समय खराब करते हो, एक दिन समय तुम्हें बरबाद कर देगा इसलिये कभी-भी अपने समय की बरबादी मत करो और इसका सही इस्तेमाल करो। मेरी माँ बहुत प्यारी हैं और बहुत साधारण गृहिणी हैं। वो परिवार के सभी सदस्यों का ध्यान देती हैं और हर दिन परिवार में एक खुशनुमा माहौल बनाए रखती हैं। वो दादा-दादी और बच्चों का खास ख्याल रखती हैं साथ ही साथ हमेशा समाज में गरीब और ज़रुरतमंद लोगों की मदद करती हैं। हमें बचपन से अपने परिवार में बड़ों की इज़्जत और प्यार करना तथा सड़क पर ज़रुरतमंद लोगों की मदद करना सिखाया गया है। मेरा प्यारा छोटा परिवार वास्तव में प्यार, देखभाल, शांति, समृद्धि और अनुशासन से भरा हुआ है।
परिवार पर छोटा सा भाषण
परिवार से तात्पर्य सामूहिक लोगों के उस समूह से है, जो किसी मकान में एक साथ रहते हैं। इन लोगों के बीच खून का रिश्ता हो सकता है या फिर कोई अन्य संबंध होता है। ज्यादातर परिवार के सदस्यों के बीच खून का रिश्ता ही होता है।
सामान्यतः एक भारतीय परिवार में एक व्यक्ति और उसकी पत्नी तथा उस व्यक्ति के माता-पिता एवं उस व्यक्ति की संतानें होती हैं। इन सब को मिलाकर एक परिवार बनता है। किसी परिवार के साथ बिना किसी अन्य संबंध या खून के रिश्ते के बिना नियमित व स्थायी रूप से रहने वाला सदस्य भी परिवार के अंतर्गत गिना जाता है।
परिवार विश्व की एक प्राचीन व्यवस्था रही है। जब से मानव ने सभ्यता को अपनाया तथा आदिम युग से निकलकर सभ्य होना शुरू किया, उसने पर परिवार बनाने शुरु किए। परिवार सामाजिक व्यवस्था का एक प्रमुख अंग है। कई सारे परिवारों को मिलाकर ही किसी समाज या समुदाय का निर्माण होता है।
परिवार प्रेम, अपनत्व, स्नेह और लगाव का प्रतीक है। परिवार के जो भी सदस्य होते हैं उनके एक दूसरे के प्रति कर्तव्य होते हैं। जैसे कि परिवार में संतान के पालन पोषण का दायित्व उसके माता-पिता पर होता है। बूढ़े माता-पिता हैं तो उनकी देखभाल की जिम्मेदारी उनकी संतान पर होती है। यह एक पारिवारिक दायित्व है, इसको पूरा करना ही परिवार की पारंपरिक शिष्टाचार के अंतर्गत आता है।