Hindi, asked by aditya504834, 1 year ago

short nibandh on yuvaon ka Naitik patan​

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Answered by Anonymous
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धन-दौलत, सुख और वैभव नैतिकता (सच्चरित्रता) पर खड़े हैं। महाभारत में प्रहलाद की कथा आती है। प्रहलाद की कथा आती है। प्रह्लाद अपने समय का बड़ा प्रतापी और दानी राजा हुआ है। इसने नैतिकता (शील) का सहारा लेकर इन्द्र को राज्य ले लिया। इन्द्र ने ब्राह्मण का रूप धारण करके प्रह्लाद के पास जाकर पूछा, “आपको तीन लोकों का राज्य कैसे मिला ?’ प्रहलाद ने इसका कारण नैतिकता (शील) को बताया। इन्द्र की सेवा से प्रसन्न होकर उसने वर मांगने के लिए कहा। इन्द्र ने नैतिकता (शील) मांग लिया। वचन से बंधे होने के कारण प्रह्लाद को नैतिकता (शील) देनी पड़ी। शील के जाते ही धर्म, सत्य, सदाचार, बल, लक्ष्मी सब चले गए, क्योंकि ये सव वहाँ ही रहते हैं, जहाँ शील हो। भारेत की। नैतिकता (सच्चरित्रता) इतनी ऊँची थी कि सारा संसार अपने-अपने चरित्र के अनुसार। शिक्षा प्राप्त करे, ऐसी घोषणा यहाँ की जाती थी।

अतीतकाल में भारत संसार का गुरु था। वह सोने की चिड़िया के नाम से पुकारा जाता था। नैतिकता का जब इतना महत्त्व है, तब उसे शिक्षा में से निकाल कर परे क्यों किया गया, समझ में नहीं आता ? नैतिकता (शीत) ही मनुष्य का सब कुछ है। उसके बिना मनुष्य का कोई मूल्य नहीं।

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