Hindi, asked by luheenasyeda, 4 months ago

short note on kamaladevi chattopadhyay and her contribution in salt satyagraha movement in hindi

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Answered by aarushisingh365
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साल 1930 था. उस समय कमलादेवी चट्टोपाध्याय 27 साल की थीं. उन्हें ख़बर मिली कि महात्मा गांधी डांडी यात्रा के ज़रिए 'नमक सत्याग्रह' की शुरुआत करेंगे. जिसके बाद देश भर में समुद्र किनारे नमक बनाया जाएगा. लेकिन इस आंदोलन से महिलाएं दूर रहेंगी.

महात्मा गांधी ने आंदोलन में महिलाओं की भूमिका चरखा चलाने और शराब की दुकानों की घेराबंदी करने के लिए तय की थी लेकिन कमालदेवी को ये बात खटक रही थी.

कमलादेवी चट्टोपाध्याय

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कमलादेवी चट्टोपाध्याय

अपनी आत्मकथा 'इनर रिसेस, आउटर स्पेसेस' में कमलादेवी ने इस बात की चर्चा की है.

वो लिखती हैं "मुझे लगा कि महिलाओं की भागीदारी 'नमक सत्याग्रह' में होनी ही चाहिए और मैंने इस संबंध में सीधे महात्मा गांधी से बात करने का फ़ैसला किया."

महात्मा गांधी उस वक्त सफ़र कर रहे थे.

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समाप्त

लिहाज़ा कमलादेवी उसी ट्रेन में पहुंच गईं जिसमें गांधी थे और वो उनसे मिलीं.

ट्रेन में महात्मा गांधी से उनकी मुलाक़ात छोटी थी लेकिन इतिहास बनने के लिए काफ़ी थी.

पहले तो महात्मा गांधी ने उन्हें मनाने की कोशिश की लेकिन कमलादेवी के तर्क सुनने के बाद महात्मा गांधी ने 'नमक सत्याग्रह' में महिला और पुरुषों की बराबर की भागीदारी पर हामी भर दी. महात्मा गांधी का ये फ़ैसला ऐतिहासिक था.

इस फ़ैसले के बाद महात्मा गांधी ने 'नमक सत्याग्रह' के लिए दांडी मार्च किया और बंबई में 'नमक सत्याग्रह' का नेतृत्व करने के लिए सात सदस्यों वाली टीम बनाई. इस टीम में कमलादेवी और अवंतिकाबाई गोखले शामिल थीं.

महिलाओं की भागीदारी के लिए अहम क़दम

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न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी में प्रोफ़ेसर और महिलाओं के लिए काम करने वाली ग़ैर-सरकारी संस्था की संस्थापक रुचिरा गुप्ता का कहना है, "इस क़दम से आज़ादी के आंदोलन में महिलाओं की भागीदारी बढ़ी. पूरी दुनिया ने देखा कि महिलाओं ने कंधे से कंधा मिलाकर नमक क़ानून तोड़ा. इससे कांग्रेस पार्टी में, राजनीति में और आज़ादी के बाद भी महिलाओं की भूमिका बदल गई''.

कमलादेवी चट्टोपाध्याय

'नमक सत्याग्रह' के दौरान कमलादेवी से जुड़े क़िस्सों की कोई कमी नहीं है.

पुलिस से संघर्ष कर कमलादेवी और उनके साथियों ने नमक बनाया और पैकेट बनाकर बेचना शुरू कर दिया. एक दिन वो बंबई स्टॉक एक्सचेंज में दाख़िल हुईं और वहां भी नमक के पैकेट नीलाम किए.

स्टॉक एक्सचेंज में मौजूद लोग जोश में आकार 'महात्मा गांधी की जय' के नारे लगाने लगे.

शकुंतला नरसिम्हन ने अपनी किताब 'कमलादेवी चट्टोपाध्याय -दी रोमांटिक रिबेल' में इस घटना का ज़िक्र किया है.

शकुंतला नरसिम्हन के मुताबिक़, कमलादेवी को स्टॉक एक्सचेंज में नमक नीलामी के बाद एक और विचार आया और वो हाई कोर्ट पहुंच गईं.

हाई कोर्ट में मौजूद मैजिस्ट्रेट से कमलादेवी ने पूछा कि क्या वो 'फ्रीडम सॉल्ट' यानी आज़ादी का नमक ख़रीदना चाहेंगे. मैजिस्ट्रेट ने इस पर क्या कहा ये तो नहीं मालूम लेकिन इस घटना से कमलादेवी की निडरता की कहानी दूर-दूर तक फैल गई.

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