Hindi, asked by khusi2, 1 year ago

short story of munsi premchand in hindi

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Answered by ajay33333
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मिस्टर सेठ को सभी हिन्दुस्तानी चीजों से नफरत थी और उनकी सुन्दरी पत्नी गोदावरी को सभी विदेशी चीजों से चिढ़! मगर धैर्य और विनय भारत की देवियों का आभूषण है। गोदावरी दिल पर हजार जब्र करके पति की लायी हुई विदेशी चीज़ों का व्यवहार करती थी, हालाँकि भीतर ही भीतर उसका हृदय अपनी परवशता पर रोता था। वह जिस वक्त अपने छज्जे पर खड़ी हो कर सड़क पर निगाह दौड़ाती और कितनी ही महिलाओं को खद्दर की साड़ियाँ पहने गर्व से सिर उठाये चलते देखती, तो उसके भीतर की वेदना एक ठंडी आह बन कर निकल जाती थी। उसे ऐसा मालूम होता था कि मुझसे ज्यादा बदनसीब औरत संसार में नहीं है। मैं अपने स्वदेशवासियों की इतनी भी सेवा नहीं कर सकती। शाम को मिस्टर सेठ के आग्रह करने पर वह कहीं मनोरंजन या सैर के लिए जाती, तो विदेशी कपड़े पहने हुए निकलते शर्म से उसकी गर्दन झुक जाती थी। वह पत्रों में महिलाओं के जोश-भरे व्याख्यान पढ़ती तो उसकी आँखें जगमगा उठतीं, थोड़ी देर के लिए वह भूल जाती कि मैं यहाँ बन्धनों में जकड़ी हुई हूँ।
Answered by manishathakur10588
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Explanation:

जन्म- प्रेमचंद का जन्म 31 जुलाई 1880 को भारत के उत्तर प्रदेश राज्य के वाराणसी शहर के लम्ही नामक गाँव में हुअ था। इनके पिता का नाम अजायबराय था जो कि एक डाकमुंशी थे और इनकी माता का नाम आन्नदी देवी था।

शिक्षा- प्रेमचंद ने 1898 में मैट्रिक की परीक्षा उत्तीर्ण करी और एक स्थानीय विद्यालय में अध्यापक के पद पर नियुक्त हो गए। इन्होंने नौकरी के साथ साथ अपनी पढ़ाई जारी रखी और 1910 में इंटर की परीक्षा उत्तीर्ण की थी। इन्होंने 1918 में बी.ए. की परीक्षा उत्तीर्ण की और शिक्षा विभाग में इंस्पेकटर के पद पर नियुक्त हुए।

वैवाहिक जीवन- प्रेमचंद का विवाह 15 साल की उम्र में हुआ था जो कि सफल नहूं रहा। उसके बाद उनका दुसरा विवाह बाल विधवा शिवरानी देवी से हुआ था।

लेखन कार्य- प्रेमचंद ने लेखन कार्य की शुरूआत जमाना पत्रिका से की थी। शुरूआत में वह धनपत राय के नाम से लिखते थे। इनकी पहली कहानी सरस्वती पत्रिका में सौत नाम से प्रकाशित हुई थी 1936 में आखिरी कहानी कफन नाम से प्रकाशित हुई थी। इन्होंने उर्दू और हिंदी में विभिन्न उपन्यास लिखे है। गोदान, रंगमंच और प्रेमा आदि इनकी प्रमुख रचनाएँ है। इन्होंने हंस नामक मासिक पत्रिका की भी शुरूआत की थी। उनंहोंने लगभग 300 कहानियाँ, एक दर्जन उपन्यास और कई लेख लिखे थे। उन्होंने कई नाटक भी लिखे थे और उन्होंने मजदूर फिल्म की कहानी भी लिखी थी।

निधन- 1936 में मुंशी प्रेमचंद बहुत बीमार पड़ गए थे और बिमारी के चलते ही उनका 8 अक्टूबर, 1936 को निधन हो गया था। मरणोप्रांत उनकी कहानियाँ मानसरोवर नाम से 8 खंडो में प्रकाशित हुई थी और उनका आखिरी उपन्यास मंगलसूत्र जो कि अधुरा रह गया था उसे उनके बेटे ने पूरा किया था।

निष्कर्ष- मुंशी प्रेमचंद ने हिंदी सहात्य को अमूल्य गुण दिए हैं। उन्होंने जीवन और कलाखंड की सच्चाई को धरातल पर उतारा था। उन्होंने आम बोलचाल की भाषा का प्रयोग. किया था उन्होंने हिंदी साहित्य को नई दिशा प्रदान की थी। वह एक महान लेखक थे और हिंदी साहित्य के युग प्रवर्तक भी थे।

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