short summary of कवि का चुनाव
Answers
Answer:
महाराज ने अपने मंत्री से कहा,‘‘हमें अपने दरबार के लिए एक कवि की ज़रूरत है, जो सचमुच कवि हो.’’
दूसरे दिन नौजवान मंत्री ने नगर में मुनादी करा दी. तीसरे दिन एक हज़ार एक आदमी मंत्री के महल के नीचे खड़े थे, और कहते थे, हम सब कवि हैं. मंत्री ने इक्कीस दिनों में उन सबकी कविताएं सुनीं और देखा, मगर उनमें सर्वश्रेष्ठ कौन है, इसका फ़ैसला न कर सका. उसने एक दिन सोचा, दो दिन सोचा, तीन दिन सोचा, चौथे दिन उसने फूल की पंखुड़ियों के काग़ज़ पर सुनहरे रंग से एक हज़ार एक कवियों के नाम लिखे, और यह सुनाम-सूची महाराज की सेवा में उपस्थित कर दी.
महाराज को हैरानी हुई. बोले,‘‘क्या यह सब कवि हैं?’’
मंत्री ने विनय से सिर झुकाया, और धीरे से जवाब दिया,‘‘मैंने उनकी कृतियां सुनी हैं, और इसके बाद यह नामावली तैयार की है. हमें एक कवि की ज़रूरत है, और यह एक हज़ार एक हैं. मैं चुनाव नहीं कर सका.’’
महाराजा ने एक घंटा विचार किया, दो घंटे विचार किया, तीन घंटे विचार किया, चौथे घंटे आज्ञा दी,‘‘इन सबको क़ैद कर दो, इनसे कोल्हू चलवाओ, और हुक़्म दे दो, कि अब से जो आदमी कविता करेगा, उसे हमारे शहर का सबसे बलवान आदमी कोड़े मार-मारकर जान से मार डालेगा.’’
मंत्री ने आज्ञा का पालन किया. अब वहां एक भी कवि न था, न कोई काव्य की चर्चा करता था. लोग उन अभागों के संकट की कहानियां, सुनते थे, और उनके हाल पर अफ़सोस करते थे.
हार माने वो बेटे मौज करा दी बेटे वो बेटे