short summary of raidas ke pad lesson
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इस काव्यांश में रैदास जी के दो पद दिए गए हैं। पहले पद में रैदास जी अपने आराध्य देव का स्मरण करते हैं। वह विभिन्न उपमानों द्वारा उनसे अपनी तुलना करते हैं। वह स्वयं को प्रभु के साथ के बिना अधूरा मानते हैं। रैदास जी के अनुसार प्रभु उनके साथ ऐसे ही रचे-बसे हैं, जैसे दीये के संग बाती इत्यादि होते हैं। दूसरे पद में रैदास जी अपने आराध्य देव की कृपा, प्रेम और उदारता के लिए उनका धन्यवाद करते हैं। उनके अनुसार ये सब उनके भगवान के द्वारा ही किया जा सकता है। भगवान ने ही उनके जैसे व्यक्ति को राजाओं जैसा सुख दे दिया है। उनके अनुसार भगवान सबको समान रूप से देखते हैं। तभी तो उनके जैसे नीच कुल के व्यक्ति को उन्होंने अपने प्रेम से भर दिया है और अपने चरणों में स्थान दिया है।
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