short summary type of lakhnavi andaz by yashpal
Answers
अचानक ही नबाब साहब ने लेखक को सम्बोधित करते हुए खीरे का लुत्फ़ उठाने को कहा परन्तु लेखक ने शुक्रिया करते हुए मना कर दिया। नबाब ने बहुत ढंग से खीरे को धोकर छिले, काटे और उसमे जीरा, नमक-मिर्च बुरककर तौलिये पर सजाते हुए पुनः लेखक से खाने को कहा किन्तु वे एक बार मना कर चुके थे इसलिए आत्मसम्मान बनाये रखने के लिए दूसरी बार पेट ख़राब होने का बहाना बनाया। लेखक ने मन ही मन सोचा कि मियाँ रईस बनते हैं लेकिन लोगों की नजर से बच सकने के ख्याल में अपनी असलियत पर उतर आयें हैं। नबाब साहब खीरे की एक फाँक को उठाकर होठों तक ले गए, उसको सूँघा। खीरे की स्वाद का आनंद में उनकी पलकें मूँद गयीं। मुंह में आये पानी का घूँट गले से उतर गया, तब नबाब साहब ने फाँक को खिड़की से बाहर छोड़ दिया। इसी प्रकार एक-एक करके फाँक को उठाकर सूँघते और फेंकते गए। सारे फाँको को फेकने के बाद उन्होंने तौलिये से हाथ और होठों को पोछा। फिर गर्व से लेखक की ओर देखा और इस नायब इस्तेमाल से थककर लेट गए। लेखक ने सोचा की खीरा इस्तेमाल करने से क्या पेट भर सकता है तभी नबाब साहब ने डकार ले ली और बोले खीरा होता है लजीज पर पेट पर बोझ डाल देता है। यह सुनकर लेखक ने सोचा की जब खीरे के गंध से पेट भर जाने की डकार आ जाती है तो बिना विचार, घटना और पात्रों के इच्छा मात्र से नई कहानी बन सकती है।
लखनवी अंदाज़ पाठ का सारांश
लखनवी अंदाज़ पाठ यशपाल द्वारा लिखा गया है| इस पाठ में लेखन ने दिखावा पसंद लोगों की जीवन शैली का वर्णन किया है| लेखक इस पाठ के माध्यम से बताना चाहता है की बिना पात्रों , घटना और विचार के भी स्वतंत्र रूप से रचना लिखी जा सकती है|
कहानी में नबाब साहब और उनके द्वारा खीरे काट कर खिड़की से फेंकने को आधार बनाकर अपने विचार व्यक्त किया है| नबाब साहब खीरे को सूंघ कर संतुष्ट होने का दिखावा करते है | यह उनके ढोंग पन अवास्तविक है| नबाब के इस व्यवहार से लगता है की लोग आम लोगों जैसे कार्य एकांत में करना पसंद करते है उन्हें ऐसा लगता है कि कहीं उनके कोई देख ना ले और उनकी शान में कोई फर्क न आ जाए | आज समाज में भी ऐसी दिखावा पसंद संस्कृति का आदि हो गया है|
इस प्रकार केवल प्रदर्शन कर आडम्बर नई कहानी के लेखक बिना विचार , उद्देश्य , पात्र और घटना मात्र अपनी इच्छा द्वारा लिख रहे है|