Siksha jnam sidh ka adhikar hai ise ap kaise spast karenge apne wichar likhiye
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जन्मसिद्ध अधिकार है,परंतु इस अधिकार को पाने में सालों का इंतज़ार करना पड़ा। जो अधिकार बहुत से देशों में वर्षों पहले ही बच्चों को प्राप्त हो चुका था, उस अधिकार को पाने के लिए भारत के बच्चों को वर्ष 2009 को इंतज़ार करना पड़ा। परंतु देर से सही, आज शिक्षा हर एक बच्चे का मौलिक अधिकार बन चुका है,जिसका कोई हनन नहीं कर सकता। यद्यपि इस अधिकार ने प्रत्येक बच्चे के लिए शिक्षा व्यवस्था के साथ-साथ आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग {EWS} के लिए निजी व गैर-निजी विद्यालयों में 25% सीटें आरक्षित करने का भी प्रावधान किया। इन नियमों की व्यवस्था के बावजूद आज भी कई निजी विद्यालयों में EWS श्रेणी में बच्चों को प्रवेश ही नहीं दिया जाता है। इसलिए ये आवश्यक हो जाता है कि कानून बनाने के साथ-साथ उसे सख्ती के साथ लागू भी किया जाए,ताकि नियम उल्लंघन की कोई गुंजाइश ही न रह जाए ।