Hindi, asked by jyotichaudhary1175, 9 months ago

Sinili
भारत नहीं स्थान का वाचक गुण-विशेष नर का है,
एक देश का नहीं, शील यह भूमंडल-भर का है। in dono lines ke bhavaarth​

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Answered by lk039kumar
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Answer:

भारत नहीं स्थान का वाचक, गुण-विशेष नर का है एक देश का नहीं, शील यह भूमंडल-भर का है। जहाँ कहीं एकता अखंडित, जहाँ प्रेम का स्वर है, देश-देश में वहाँ खड़ा भारत जीवित भास्वर है!

Explanation:

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Answered by bhatiamona
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भारत नहीं स्थान का वाचक गुण-विशेष नर का है,

एक देश का नहीं, शील यह भूमंडल-भर का है।

संदर्भ : यह पंक्तियां ‘रामधारी सिंह दिनकर’ द्वारा रचित ‘कविता किसको नमन करूं मैं भारत’ से ली गई है। इन पंक्तियों के माध्यम से कवि ने भारत देश की महिमा का गुणगान किया है।

भावार्थ : कवि कहते हैं कि भारत की संपूर्ण धरती गुणों से भरी हुई है। यहाँ के प्रत्येक मनुष्य में प्रेम पाया जाता है। यहाँ का गुणगान स्थान से नहीं बल्कि मनुष्य का मनुष्य के प्रति प्रेम से होता है। यहाँ कण-कण में प्रेम एवं एकता के स्वर विद्यमान हैं। भारत देश का हर हिस्सा जीवित प्रकाशमान दिखाई देता है। भारत देश का ये गुण खाली भारत के लिए गर्व का विषय नही बल्कि पूरी पृथ्वी के लिए गर्व का विषय है।

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