Hindi, asked by gopalkgp1687, 1 year ago

sirf trk krne vala dimag ak aese caku ki trh h kisme sirf dhar h. vh priyog krne vale ka hath rkt me kr dega. on eassy

Answers

Answered by Anonymous
0
Hey dear friend ,

Here is your answer - -

सिर्फ तर्क करने वाला दिमाग ऐसे चाकू की तरह होता है की जो व्यक्ति इसका प्रयोग करता है , उसके हाथ रक्तेरनजित हो जाते है । यह हमारे स्वंम के विवेक और हमारे दिल के विवेक और हमारे दिमाग के विवेक दोनों में बहुत गहरा संबंध होता है , और गहरे विक्रम का संबंध भी होता है । हमें हर समय पर प्रत्येक परिस्थिति में अलग अलग विवेक की जरूरत होती है ।

कई बार उनके ऊपर जहां पर दिमाग के विवेक की आवश्यकता होती है हम वहां पर दिल के विवेक की उपस्थिति कर और उसका उपयोग कर अपने लिए कठिनाइयां और समाज के लिए अंकुश पैदा कर लेते हैं ,

और कई बार उनके ऊपर जहां पर दिल के विवेक की आवश्यकता होती है हम वहां पर दिमाग के विवेक की उपस्थिति कर और उसका उपयोग करें अपने लिए कठिनाइयां और समाज के लिए अंकुश लगा कर लेते है।

हमारे प्राचीन काल में भी दिल और दिमाग क्यों दोनों के ऊपर बहुत गहरा अध्ययन किया गया था ?

हमारे दिल और दिमाग दोनों के ऊपर गहरा अध्ययन किया गया था क्योंकि हमें एक सफल जिंदगी जीने के लिए इन दोनों बिंदुओं की बहुतायत से उपयोग करना पड़ता है यदि कोई जी न्यायाधीश विवेक जहां पर दिमाग का उपयोग करना है उस स्थान पर दिल के विवेक का उपयोग कर अपराधी को सजा कम या उसके अपराध कुछ माफ कर देते हैं इससे अपराधी खुश होता है और उसे पर्याप्त सजा नहीं मिल पाती।

और कहीं कहीं पर जहां पर हैं अपने समाज में दिल के उपयोग की बात का उपयोग करना चाहिए वहीं पर कोई ना कोई दिमाग का उपयोग कर देता है और कोई पूरी बनी बनाई बात बिगड़ जाती है ऐसे कई उदाहरण मिलते हैं हमारे समाज में ।

Thanks ;) ☺☺☺
Similar questions