Hindi, asked by Vekalplokan, 1 year ago

sloke on parishsram in sanskrit​

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Answered by mdkumar591
2

Answer:

friend this is a famous shlok written by Chaanakya, the advisor of chandragupta.

यथा चतुर्भिः कनकं परीक्ष्यते निर्घषणच्छेदन तापताडनैः। तथा चतुर्भिः पुरुषः परीक्ष्यते त्यागेन शीलेन गुणेन कर्मणा।।

भावार्थ :

घिसने, काटने, तापने और पीटने, इन चार प्रकारों से जैसे सोने का परीक्षण होता है, इसी प्रकार त्याग, शील, गुण, एवं कर्मों से पुरुष की परीक्षा होती है

please mark it as brainliest


Vekalplokan: Thanks bro
Vekalplokan: Ok
Answered by siddhantkuma9999
2

sloke 1

हि मनुष्याणां शरीरस्थो महान् रिपुः |

नास्त्युद्यमसमो बन्धुः कृत्वा यं नावसीदति ||

sloke 2

अलसस्य कुतो विद्या, अविद्यस्य कुतो धनम् |

अधनस्य कुतो मित्रम्, अमित्रस्य कुतः सुखम् ||


siddhantkuma9999: plz mark as brainliest
Vekalplokan: Sorry
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