Smajik sanajal par niband
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मानव द्वारा रचित समूह या संगठनों को परस्पर जोड़ने वाली संरचना फेसबुक या ट्विटर , इंस्टाग्राम या अन्य माध्यम को हम यहाँ सामाजिक संजाल समझते हैं. एक अनुसन्धान के अनुसार सामाजिक संजाल व्यक्ति ,परिवार, सामान विचार वाले लोगों के समूह और यहाँ तक कि राष्ट्र तक के लिए अनेक स्तर पर अनेकों रूप में प्रयोग होता है.
यह संजाल (नेटवर्क) नाम अनुरूप लोगों के मध्य सम्बन्ध बनाने का काम करता और उन्हें परिलक्षित करने पर केंद्रित होता है. यह संजाल लोगों को अपने विचारों, गतिविधियों , उनसे सम्बंधित घटनाओं, उनकी रुचियों सभी अपने जानने वालों या कभी कभी तो संजाल पर सक्रिय सभी के मध्य बांटने का एक सफल और सुलभ माध्यम है.
जिस तरह हम इस संसार में रहते हैं तो पहले परिवार फिर समाज और देश से अवगत होते हैं ठीक उसी तरह फेसबुक ऐसी कड़ी है जहाँ सर्वप्रथम एक मित्र फिर मित्र के मित्र ऐसे मित्रों का समूह परिवार बन जाता है. फिर हमारा एक समाज बन जाता है. जहाँ हम गोते लगाते रहते हैं इस प्रेमरस संसार में. कितना आनंद आता है, समय क्षण में व्यतीत हो जाता है. यह ऐसी ज्ञान गंगा है जहाँ हर भाषा का ज्ञान प्राप्त होता है, ऐसी ज्ञान धारा बरसती है जहाँ मानव ज्ञानामृत से अमृत तत्त्व ग्रहण करता है. हर क्षेत्र में सामाजिक संजाल उत्कृष्ट है. भोजन , स्वास्थ्य , शिक्षा ,ज्ञान ,दादी-नानी की कथा सदृश कहानियां , मित्र सदृश उपदेश आदि मानव उत्थान का सर्वश्रेष्ठ साधन है.
लेकिन जब तक सदुपयोग होता है तब तक यह सामाजिक संजाल उत्कृष्ट है लेकिन जैसे ही दुरूपयोग होने लगता है तो आगामी प्रयोग अति घातक हो जाता है. छोटी -छोटी बातों को बड़ा बनाकर परोसा जाना उचित नहीं होता है. राई को पर्वत बनाना निंदनीय है. महान व्यक्ति को तुच्छ प्रमाणित करना , तुच्छ को उत्कृष्ट कहना , किसी को अपमानित करना , बिना कारण निंदा करना, अफवाह उड़ाना, उपहास करना , बिना कारण किसी की स्तुति करना , मृत व्यक्तियों का भी निंदा करना , किसी की चारित्रिक हनन आदि निदनीय है. यदि कुछ मानव अपनी इस विकृति को त्याग दे या दुष्प्रचार न कर इसका उचित सदुपयोग करे तो इससे उपयोगी एवं द्रुत अन्य माध्यम हो ही नहीं सकता. यह माध्यम हमारे भीतर निहित गुणों को उभारने का सर्वोत्तम माध्यम है. मानव मन की बात किससे करे ? किसी के पास समय नहीं है, अपने -अपने कार्य में सभी व्यस्त हैं. लेकिन सामाजिक संजाल ऐसा माध्यम है जहाँ हम अपने समय का सदुपयोग सरलता से कर लेते हैं. अनजान भी आत्मीय बन जाता है. सालों से बिछड़े मित्र मिल जाते हैं. जब हम इस दुनियां में बैठते हैं तो सुध-बुध खो देते हैं.
सबसे बड़ी बात है कि यह संजाल उन सभी के लिए भी बहुत सुलभ साधन हैं जिन्हें अपनी अभिव्यक्ति कविता,लेख या कहानियों के माध्यम से देने का मन होता है. पहले जब इस तरह की संजाल नहीं थी तब केवल कुछ गिने -चुने लोग ही कहानी,कविता या लेख को छपवा कर अपनी अभिव्यक्ति औरों के साथ बाँट पाते थे. छपवाना कठिन कार्य होता था और उत्कृष्टता का पैमाना प्रयोग होने के कारण सर्व साधारण इसका उपभोग नहीं कर पाते थे. परंतु यह सामाजिक संजाल एक ऐसा प्लेटफार्म है जहाँ कोई भी कैसा भी लेखक ,कवि,चित्रकार अपनी कृति लोगों के बीच बाँट सकता है. फिर उनके कृति को कौन और कितने लोग पसंद करते हैं यह दूसरी बात है. प्रस्तुत करने का अवसर तो सुलभ हो ही गया न ! नवोदित कलाकार ,चित्रकार,कवि एवं लेखक सभी के लिए यह सर्वोत्तम साधन है.
यह संजाल (नेटवर्क) नाम अनुरूप लोगों के मध्य सम्बन्ध बनाने का काम करता और उन्हें परिलक्षित करने पर केंद्रित होता है. यह संजाल लोगों को अपने विचारों, गतिविधियों , उनसे सम्बंधित घटनाओं, उनकी रुचियों सभी अपने जानने वालों या कभी कभी तो संजाल पर सक्रिय सभी के मध्य बांटने का एक सफल और सुलभ माध्यम है.
जिस तरह हम इस संसार में रहते हैं तो पहले परिवार फिर समाज और देश से अवगत होते हैं ठीक उसी तरह फेसबुक ऐसी कड़ी है जहाँ सर्वप्रथम एक मित्र फिर मित्र के मित्र ऐसे मित्रों का समूह परिवार बन जाता है. फिर हमारा एक समाज बन जाता है. जहाँ हम गोते लगाते रहते हैं इस प्रेमरस संसार में. कितना आनंद आता है, समय क्षण में व्यतीत हो जाता है. यह ऐसी ज्ञान गंगा है जहाँ हर भाषा का ज्ञान प्राप्त होता है, ऐसी ज्ञान धारा बरसती है जहाँ मानव ज्ञानामृत से अमृत तत्त्व ग्रहण करता है. हर क्षेत्र में सामाजिक संजाल उत्कृष्ट है. भोजन , स्वास्थ्य , शिक्षा ,ज्ञान ,दादी-नानी की कथा सदृश कहानियां , मित्र सदृश उपदेश आदि मानव उत्थान का सर्वश्रेष्ठ साधन है.
लेकिन जब तक सदुपयोग होता है तब तक यह सामाजिक संजाल उत्कृष्ट है लेकिन जैसे ही दुरूपयोग होने लगता है तो आगामी प्रयोग अति घातक हो जाता है. छोटी -छोटी बातों को बड़ा बनाकर परोसा जाना उचित नहीं होता है. राई को पर्वत बनाना निंदनीय है. महान व्यक्ति को तुच्छ प्रमाणित करना , तुच्छ को उत्कृष्ट कहना , किसी को अपमानित करना , बिना कारण निंदा करना, अफवाह उड़ाना, उपहास करना , बिना कारण किसी की स्तुति करना , मृत व्यक्तियों का भी निंदा करना , किसी की चारित्रिक हनन आदि निदनीय है. यदि कुछ मानव अपनी इस विकृति को त्याग दे या दुष्प्रचार न कर इसका उचित सदुपयोग करे तो इससे उपयोगी एवं द्रुत अन्य माध्यम हो ही नहीं सकता. यह माध्यम हमारे भीतर निहित गुणों को उभारने का सर्वोत्तम माध्यम है. मानव मन की बात किससे करे ? किसी के पास समय नहीं है, अपने -अपने कार्य में सभी व्यस्त हैं. लेकिन सामाजिक संजाल ऐसा माध्यम है जहाँ हम अपने समय का सदुपयोग सरलता से कर लेते हैं. अनजान भी आत्मीय बन जाता है. सालों से बिछड़े मित्र मिल जाते हैं. जब हम इस दुनियां में बैठते हैं तो सुध-बुध खो देते हैं.
सबसे बड़ी बात है कि यह संजाल उन सभी के लिए भी बहुत सुलभ साधन हैं जिन्हें अपनी अभिव्यक्ति कविता,लेख या कहानियों के माध्यम से देने का मन होता है. पहले जब इस तरह की संजाल नहीं थी तब केवल कुछ गिने -चुने लोग ही कहानी,कविता या लेख को छपवा कर अपनी अभिव्यक्ति औरों के साथ बाँट पाते थे. छपवाना कठिन कार्य होता था और उत्कृष्टता का पैमाना प्रयोग होने के कारण सर्व साधारण इसका उपभोग नहीं कर पाते थे. परंतु यह सामाजिक संजाल एक ऐसा प्लेटफार्म है जहाँ कोई भी कैसा भी लेखक ,कवि,चित्रकार अपनी कृति लोगों के बीच बाँट सकता है. फिर उनके कृति को कौन और कितने लोग पसंद करते हैं यह दूसरी बात है. प्रस्तुत करने का अवसर तो सुलभ हो ही गया न ! नवोदित कलाकार ,चित्रकार,कवि एवं लेखक सभी के लिए यह सर्वोत्तम साधन है.
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