Hindi, asked by army8214, 1 year ago

Smart phone चिंता आणि चिंतन

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Answered by AbsorbingMan
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Smartphone

आजकल मोबाइल हमारे जीवन का एक अटूट अंग बन गया है। मोबाइल की घंटी बजने के लिए कोई समय नहीं है। वह दिन, में रात में, जब आप कहीं बाहर सैर पर गए हैं, जब आप घर में हैं, काम में व्यस्त हैं, सो रहे हैं या जाग रहे हैं, कभी भी घंटी बजा सकता है।


ऐसे तो उसकी घंटी सुनकर बड़ी खुशी होती है कि कोई हमारा मित्र है जो हमसे बात करना चाहता है। परन्तु कोई भी चीज़ एक सीमा तक ठीक लगती है। अगर हम किसी से बात नहीं करना चाहते हैं, या एकांत में रहना चाहते हैं तो वह हमारे चैन को भंग करता है।


मोबाइल में मेसेज देखने की हमें इतनी आदत हो जाती है कि हमारा ध्यान हमेशा उसकी ओर आकर्षित रहता है। हम इतनी उत्सुकता से नयी मेसेज का इंतज़ार करते रहते हैं कि हमारा किसी और काम में मन नहीं लगता। बार बार मेसेज देखने का मन करता है। अगर कोई मेसेज नहीं आती है तो हम उदास हो जाते हैं।


मोबाइल से फोटो खींचना, विडियो गेम खेलना, मित्रों से देर तक बातें करना आदि हमारे लिए अधिक आकर्षक हो जाते हैं और उनके बिना हम रह नहीं पाते हैं। जिससे समय का सही उपयोग नहीं कर पाते हैं। इतना ही नहीं, लोग सड़क पर, अपने वाहनों में भी मोबाइल पर बात करे बिना नहीं रह पाते हैं जिससे अन्य लोगों को

असुविधा होती है। रिचार्ज पर अधिक धन खर्च होता है। इस प्रकार मोबाइल हमारे चैन को छीन लेता है।            


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