society me kachra na fekhne ke sambandh me suchana tayaar kare
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भारत जैसे देशों में पहले थैले के रूप में ऐसी चीजों का इस्तेमाल होता था जो नुकसानदेह नहीं थे. दही के लिए मिट्टी के बर्तनों का इस्तेमाल होता था तो सामान ढोने के लिए जूट के बैग का. प्लास्टिक ने स्थिति बदल दी है और उसके साथ एक समस्या भी पैदा हो गई है क्योंकि प्लास्टिक कभी गलता नहीं. उसका रिसाइक्लिंग ही संभव है, लेकिन उसे जमाकरने की कोई व्यवस्था नहीं. अब प्लास्टिक पररोक लगाकर समस्या से निबटने की कोशिश हो रहीहै.
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