Hindi, asked by kwddanirammaravi, 8 months ago

sod And Narmada Nadi ki pardy Katha kya hogi​

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Answered by sainee290109
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Answer:

hello mate.

Explanation:

प्राचीन धर्म ग्रंथों में जिस रेवा नदी का जिक्र हुआ है वह भारत की एक पवित्र नदी नर्मदा है। कहते हैं गंगा में स्नान करने से जो पुण्य प्राप्त होता है वह नर्मदा नदी के दर्शन मात्र से ही प्राप्त हो जाता है। इस नदी का हर कंकड़ शंकर के समान है, जिसे नर्मदेश्वर महादेव के रूप में पूजा जाता है। नर्मदा के जन्म की कहानी बहुत ही रोचक है और उससे भी रोचक है इसके नदी बनने के कहानी। ऐसी कथा है कि यह भगवान शिव के पसीने से एक 12 साल की कन्या रूप में उत्पन्न हुई थीं। फिर जीवन ने ऐसा मोड़ लिया कि प्यार में इन्हें धोखा मिला और यह उलटी दिशा में बह निकली।

नर्मदा नदी के बारे में कहा जाता है कि यह राजा मैखल की पुत्री थीं। नर्मदा के विवाह योग्‍य होने पर मैखल ने उनके विवाह की घोषणा करवाई। साथ ही यह भी कहा कि जो भी व्‍यक्ति गुलबकावली का पुष्‍प लेकर आएगा राजकुमारी का विवाह उसी के साथ होगा। इसके बाद कई राजकुमार आए लेकिन कोई भी राजा मैखल की शर्त पूरी नहीं कर सका। तभी राजकुमार सोनभद्र आए और राजा की गुलबकावली पुष्‍प की शर्त पूरी कर दी। इसके बाद नर्मदा और सोनभद्र का विवाह तय हो गया।

राजा मैखल ने जब राजकुमारी नर्मदा और राजकुमार सोनभद्र का विवाह तय किया तो राजकुमारी की इच्‍छा हुई कि वह एक बार तो उन्‍हें देख लें। इसके लिए उन्‍होंने अपनी सखी जुहिला को राजकुमार के पास अपने संदेश के साथ भेजा। लेकिन काफी समय बीत गया और जुहिला वापस नहीं आई। इसके बाद तो राजकुमारी को चिंता होने लगी और वह उसकी खोज में निकल गईं। तभी वह सोनभद्र के पास पहुंचीं और वहां जुहिला को उनके साथ देखा। यह देखकर उन्‍हें अत्‍यंत क्रोध आया। इसके बाद ही उन्‍होंने आजीवन कुंवारी रहने का प्रण लिया और उल्‍टी दिशा में चल पड़ीं। कहा जाता है कि तभी से नर्मदा अरब सागर में जाकर मिल गई। जबकि अन्‍य नदियों की बात करें तो सभी नदियां बंगाल की खाड़ी में मिलती हैं।

नर्मदा के प्रेम की और कथा मिलती है कि सोनभद्र और नर्मदा अमरकंटक की पहाड़‍ियों में साथ पले बढ़े। किशोरावस्‍था में दोनों के बीच प्रेम का बीज पनपा। तभी सोनभद्र के जीवन में जुहिला का आगमन हुआ और दोनों एक-दूसरे से प्रेम करने लगे। इसके बाद जब नर्मदा को यह बात पता चली तो उन्‍होंने सोनभद्र को काफी समझाया-बुझाया। लेकिन वह नहीं माने। इसके बाद नर्मदा क्रोधित होकर उलटी दिशा में चल पड़ीं और आजीवन कुंवारी रहने की कसम खाई।

नर्मदा को मध्‍य प्रदेश की जीवन रेखा कहा जाता है। नर्मदा की उत्‍पत्ति मैकल पर्वत के अमरकंटक शिखर से हुई है। बता दें कि ये पूर्व से पश्चिम की ओर बहती है और खम्‍बात खाड़ी में गिरती है। नर्मदा भारत के अंदर बहने वाली तीसरी सबसे लंबी नदी है।

ग्रंथों में नर्मदा नदी की उत्‍पत्ति और उसकी महत्‍ता का विस्‍तार से वर्णन मिलता है। इन्‍हीं कथाओं के अनुसार नर्मदा नदी के दर्शन मात्र से होने वाले फल की भी जानकारी मिलती है। नर्मदा ही इकलौती नदी है जिसकी परिक्रमा की जाती है। पुराणों में उल्‍लेख मिलता है कि गंगा स्‍नान से भी जो फल नहीं मिलता वह नर्मदा के दर्शन मात्र से ही प्राप्‍त हो जाता है।

कहा जाता है नर्मदा ने कई हजार सालों तक तपस्‍या की। इससे भगवान शिव ने प्रसन्‍न होकर उन्‍हें दर्शन दिया। इसके बाद नर्मदा ने उनसे कई वरदान प्राप्‍त किए। इसमें प्रलय में भी अविनाशी होने, विश्‍व में एकमात्र पाप नाशिनी और नर्मदा में पाए जाने वाले पाषाणों के शिवलिंग होने का वरदान पाया। यही वजह है कि नर्मदा में पाए जाने वाले शिवलिंग को बिना प्राण-प्रतिष्‍ठा के ही पूजा जाता है। इसके अलावा नर्मदा ने अपने तट पर भोले-पार्वती के साथ ही सभी देवताओं के वास करने का भी वरदान प्राप्‍त किया।.

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