Hindi, asked by rinogeorgeal959, 7 months ago

Sodeh our Narmada ki paranay katha Ko likhiye

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Answered by shreyaa14
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Answer:

नर्मदा नदी से मेरा क्या रिश्ता है मैं नहीं जानती लेकिन जब भी कहीं उनसे संबंधित कोई पौराणिक कथा सुनने या पढ़ने को मिलती है तो खुद को रोक नहीं पाती हूं। बचपन में नानी सुनाया करती थी चिरकुंवारी नर्मदा की कथ ा, तब ही एक गहरा लगाव उसके प्रति होता चला गया। लोकगाथा के रूप में वही कथा बार-बार अलग-अलग रूपों में सामने आती रही और मैं हर बार खुद को नर्मदा नदी के और करीब पाती गई। ना जाने स्त्री जाति का वह कौन सा अव्यक्त दर्द था जो हर कथा के साथ मुझमें बहता चला गया। नर्मदा नदी की तड़प, वेदना, अपमान की पीड़ा और अपने स्वत्व-स्त्रीत्व की क्रोधाग्नि, हर मनोभाव को कहीं गहरे तक मैंने अनुभूत किया।

कहते हैं नर्मदा ने अपने प्रेमी शोणभद्र से धोखा खाने के बाद आजीवन कुंवारी रहने का फैसला किया लेकिन क्या सचमुच वह गुस्से की आग में चिरकुवांरी बनी रही या फिर प्रेमी शोणभद्र को दंडित करने का यही बेहतर उपाय लगा कि आत्मनिर्वासन की पीड़ा को पीते हुए स्वयं पर ही आघात किया जाए। नर्मदा की प्रेम-कथा लोकगीतों और लोककथाओं में अलग-अलग मिलती है लेकिन हर कथा का अंत कमोबेश वही कि शोणभद्र के नर्मदा की दासी जुहिला के साथ संबंधों के चलते नर्मदा ने अपना मुंह मोड़ लिया और उलटी दिशा में चल पड़ीं। सत्य और कथ्य का मिलन देखिए कि नर्मदा नदी विपरीत दिशा में ही बहती दिखाई देती है।

कथा 1 : नर्मदा और शोण भद्र की शादी होने वाली थी। विवाह मंडप में बैठने से ठीक एन वक्त पर नर्मदा को पता चला कि शोण भद्र की दिलचस्पी उसकी दासी जुहिला(यह आदिवासी नदी मंडला के पास बहती है) में अधिक है। प्रतिष्ठत कुल की नर्मदा यह अपमान सहन ना कर सकी और मंडप छोड़कर उलटी दिशा में चली गई। शोण भद्र को अपनी गलती का एहसास हुआ तो वह भी नर्मदा के पीछे भागा यह गुहार लगाते हुए' लौट आओ नर्मदा'... लेकिन नर्मदा को नहीं लौटना था सो वह नहीं लौटी।

अब आप कथा का भौगोलिक सत्य देखिए कि सचमुच नर्मदा भारतीय प्रायद्वीप की दो प्रमुख नदियों गंगा और गोदावरी से विपरीत दिशा में बहती है यानी पूर्व से पश्चिम की ओर। कहते हैं आज भी नर्मदा एक बिंदू विशेष से शोण भद्र से अलग होती दिखाई पड़ती है। कथा की फलश्रुति यह भी है कि नर्मदा को इसीलिए चिरकुंवारी नदी कहा गया है और ग्रहों के किसी विशेष मेल पर स्वयं गंगा नदी भी यहां स्नान करने आती है। इस नदी को गंगा से भी पवित्र माना गया है।

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