som thaku ki rachnai
Answers
Answered by
0
जाओ, पर सन्ध्या के संग लौट आना तुम
मेरे भारत की माटी है चन्दन और अबीर
पूर्वा पर
राष्ट्र देवता
लौट आओ
पंचतात्विक राष्ट्र-वंदना
राजभाषा वंदन
खिड़की पर आँख लगी
सूर्यमुखी फूल
पत्र तुम्हारे नाम
रूप तुम्हारा
दिन गीत-गीत हो चला
स्वर की तरंगें
मंगल विलय
प्रेमा नदी
क्षोभ के त्योहार
ओढ़ आए हम
वेला हुई संवत्सरा
ऋतुओं की संधि
रंगों के बोल
चाँदनी उछालता गुलाब
टूटे धनु, बाण नही छूटे
हस्ताक्षर आकाश के
देह हुई फागुन
हवायें संदली हैं
रंग भरी बातें
रिमझिम के फूल झरे
सर्पीला दिन
उजाले की खुशबू
आ गये किस द्वीप में हम
तुम रहे हो द्वीप जैसे
दूरियाँ हमसे बहुत लिपटी
कड़वे आचमन के बाद
ट्रेन की पटरियाँ
निर्बीज से क्यों हो चले हम
काली सलाखों में बंद
मन आषाढ़ हो चला
'मॉड' वन
प्रश्न-वन के देवता
मृत्यु-अक्षांशो तक
दिन चढ़े ही
पी लिया सैलाब
चंद्रमा पर घूमकर
परियों के देश में
खुश्बू की आवाज
बौने बड़े दिखने लगे हैं
उजली सुबह के नाम पर
कठोर हुई जिंदगी
कड़वे सत्य कहे
मुझको तोड़ा है
मंगल-कलश नामंजूर
परवाह क्यों करें
क्या सोचें समझें हम
बँटवारे न कर
जंगल उगने लगे
उलझी हुई रातें मिलीं
मन जंगल के हुए
उत्सव की देह
वंदन मेरे देश
खुश्बू के सिक्के हैं
सूरज के हस्ताक्षर हैं
हिंदी का समारोह गीत
संध्या के संग लौट आना तुम
I hope it's help you
मेरे भारत की माटी है चन्दन और अबीर
पूर्वा पर
राष्ट्र देवता
लौट आओ
पंचतात्विक राष्ट्र-वंदना
राजभाषा वंदन
खिड़की पर आँख लगी
सूर्यमुखी फूल
पत्र तुम्हारे नाम
रूप तुम्हारा
दिन गीत-गीत हो चला
स्वर की तरंगें
मंगल विलय
प्रेमा नदी
क्षोभ के त्योहार
ओढ़ आए हम
वेला हुई संवत्सरा
ऋतुओं की संधि
रंगों के बोल
चाँदनी उछालता गुलाब
टूटे धनु, बाण नही छूटे
हस्ताक्षर आकाश के
देह हुई फागुन
हवायें संदली हैं
रंग भरी बातें
रिमझिम के फूल झरे
सर्पीला दिन
उजाले की खुशबू
आ गये किस द्वीप में हम
तुम रहे हो द्वीप जैसे
दूरियाँ हमसे बहुत लिपटी
कड़वे आचमन के बाद
ट्रेन की पटरियाँ
निर्बीज से क्यों हो चले हम
काली सलाखों में बंद
मन आषाढ़ हो चला
'मॉड' वन
प्रश्न-वन के देवता
मृत्यु-अक्षांशो तक
दिन चढ़े ही
पी लिया सैलाब
चंद्रमा पर घूमकर
परियों के देश में
खुश्बू की आवाज
बौने बड़े दिखने लगे हैं
उजली सुबह के नाम पर
कठोर हुई जिंदगी
कड़वे सत्य कहे
मुझको तोड़ा है
मंगल-कलश नामंजूर
परवाह क्यों करें
क्या सोचें समझें हम
बँटवारे न कर
जंगल उगने लगे
उलझी हुई रातें मिलीं
मन जंगल के हुए
उत्सव की देह
वंदन मेरे देश
खुश्बू के सिक्के हैं
सूरज के हस्ताक्षर हैं
हिंदी का समारोह गीत
संध्या के संग लौट आना तुम
I hope it's help you
Similar questions