some easy examples of every part of ras ...
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One min bhai1.श्रृंगार रस
निसिदिन बरसत नयन हमारे,
सदा रहति पावस ऋतु हम पै जब ते स्याम सिधारे
2. अद्भुत रस
एक अचंभा देखा रे भाई
ठाढ़ा सिंह चरावै गाई
पहिले पूत पीछे भई माई
चेला के गुरु लागे पाई।
3.भक्ति रस
राम जपु, राम जपु, राम जपु बावरे,
घोर भव नीर- निधि, नाम निज नाव रे।
4,भयानक रस
उधर गरजती सिंधु लहरियाँ कुटिल काल के जालों सी।
चली आ रहीं फेन उगलती फन फैलाये व्यालों - सी
5. हास्य रस
इस दौड़-धूप में क्या रक्खा, आराम करो, आराम करो।
आराम ज़िंदगी की कुंजी, इससे न तपेदिक होती है।
आराम सुधा की एक बूँद, तन का दुबलापन खोती है।
6. करूण रस
मुख मुखाहि लोचन स्रवहि सोक न हृदय समाइ। मनहूँ करुन रस कटकई उत्तरी अवध बजाइ।
7. रौद्र रस
श्रीकृष्ण के सुन वचन अर्जुन क्षोभ से जलने लगे,
सब शील अपना भूल कर करतल युगल मलने लगे,
संसार देखे अब हमारे शत्रु रण में मृत पड़े,
करते हुए यह घोषणा वे हो गए उठ कर खड़े।
8. वीर रस
वीर तुम बढ़े चलो, धीर तुम बढ़े चलो।
सामने पहाड़ हो कि सिंह की दहाड़ हो। तुम कभी रुको नहीं, तुम कभी झुको नहीं
9.शांत रस
मन रे तन कागद का पुतला। लागै बूँद बिनसि जाय छिन में, गरब करै क्या इतना
10. वात्सल्य
जशोदा हरि पालने झुलावे
11. वीभत्स रस
लगे खग झुन्डन आमिष खान। जंबुक कूकर और मसान।
Sachim bhai ((dr))....... Jindagi jhand hai....
.... Jai bajarang bali
निसिदिन बरसत नयन हमारे,
सदा रहति पावस ऋतु हम पै जब ते स्याम सिधारे
2. अद्भुत रस
एक अचंभा देखा रे भाई
ठाढ़ा सिंह चरावै गाई
पहिले पूत पीछे भई माई
चेला के गुरु लागे पाई।
3.भक्ति रस
राम जपु, राम जपु, राम जपु बावरे,
घोर भव नीर- निधि, नाम निज नाव रे।
4,भयानक रस
उधर गरजती सिंधु लहरियाँ कुटिल काल के जालों सी।
चली आ रहीं फेन उगलती फन फैलाये व्यालों - सी
5. हास्य रस
इस दौड़-धूप में क्या रक्खा, आराम करो, आराम करो।
आराम ज़िंदगी की कुंजी, इससे न तपेदिक होती है।
आराम सुधा की एक बूँद, तन का दुबलापन खोती है।
6. करूण रस
मुख मुखाहि लोचन स्रवहि सोक न हृदय समाइ। मनहूँ करुन रस कटकई उत्तरी अवध बजाइ।
7. रौद्र रस
श्रीकृष्ण के सुन वचन अर्जुन क्षोभ से जलने लगे,
सब शील अपना भूल कर करतल युगल मलने लगे,
संसार देखे अब हमारे शत्रु रण में मृत पड़े,
करते हुए यह घोषणा वे हो गए उठ कर खड़े।
8. वीर रस
वीर तुम बढ़े चलो, धीर तुम बढ़े चलो।
सामने पहाड़ हो कि सिंह की दहाड़ हो। तुम कभी रुको नहीं, तुम कभी झुको नहीं
9.शांत रस
मन रे तन कागद का पुतला। लागै बूँद बिनसि जाय छिन में, गरब करै क्या इतना
10. वात्सल्य
जशोदा हरि पालने झुलावे
11. वीभत्स रस
लगे खग झुन्डन आमिष खान। जंबुक कूकर और मसान।
Sachim bhai ((dr))....... Jindagi jhand hai....
.... Jai bajarang bali
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Explanation:
thanks sachin ...........
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