Hindi, asked by KINGSTO0940US, 6 months ago

SPEECH ON HELLEN KELLER IN HINDI​

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Answered by acsahjosemon40
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Answer:

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सन 1904 में वह कला से स्नातक करने वाली विश्व की पहली दृष्टिहीन बाधिर महिला बनी। उनमें किसी के होठों को स्पर्श कर लोगों की बातचीत समझने का असाधारण गुण था। उन्होंने अपना जीवन अपने जैसे दूसरे विकलांग बच्चों की सहायता करने में समर्पित कर दिया। उन्होंने अमेरिका और दुनिया भर में महिलाओं के मताधिकार के लिए आवाज़ उठाई।

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Answered by faisalfiroz02
3

Answer:

यूँ तो मानवता के इतिहास में विकलांगता के बावजूद अनुपम उपलब्धियों हासिल करने वाली महान् विभूतियों की कमी नहीं, परन्तु अन्धता एवं बधिरता जैसी दोहरी विकलांगता के बावजूद न केवल अपना जीवन सफल बनाने, बल्कि अपने जैसे लाखों लोगों के लिए भी कार्य कर, सबके लिए प्रेरक मिसाल बन जाने बालों के उदाहरण के रूप में हेलेन केलर का नाम प्रमुखता से आता है ।

”दृष्टिहीनों की प्रगति में मुख्य बाधा दृष्टिहीनता नहीं, बल्कि दृष्टिहीनों के प्रति समाज की नकारात्मक सोच है ।” यह वक्तव्य उसी महान् महिला हेलेन केलर का है, जिन्होंने दृष्टिहीन एवं बधिर होने के बावजूद अध्ययन, लेखन एवं रचनाशीलता से विविध क्षेत्रों में ऐसी अद्भुत मिसाल कायम की, जो किसी साधारण व्यक्ति के वश की बात नहीं ।

उनकी विलक्षण प्रतिभा से प्रभावित होकर, विंसटन चर्चिल ने हेलेन को अपने युग की सर्वाधिक महान् महिला की संज्ञा देते हुए कहा था- “हेलेन केलर अन्धेपन व बधिरता जैसी विकलांगताओं के बावजूद जिस तरह का रचनात्मक जीवन जी रही हैं, वह कामयाबी की अत्यन्त दुर्लभ मिसाल है । उनका जीवन आम आदमी को बाधाओं पर हर परिस्थिति में जीत हासिल करने की प्रेरणा देता है ।”

हेलेन केलर का जन्म संयुक्त राज्य अमेरिका स्थित अलबामा प्रान्त के उत्तर-पश्चिमी इलाके के छोटे से कस्बे टस्कम्बिया में 27 जून, 1880 को हुआ था । उनके पिता ऑर्थर हेनली केलर कनफेडरेट आर्मी में कैप्टन थे और उनकी माता केट एडम्स केलर एक शिक्षित महिला थीं, जिन्होंने हेलेन को पर्याप्त सहयोग एवं प्रोत्साहन दिया ।

हेलेन केलर जन्मान्ध नहीं थी । उनका जन्म, दृष्टि एवं श्रव्य-शक्ति सम्पन्न एक स्वस्थ बच्ची के रूप में हुआ था, किन्तु प्रकृति की यह कृपा उन पर अधिक दिनों तक नहीं रह सकी । फरवरी, 1882 में मात्र 19 माह की आयु में उन्हें स्कार्लेट ज्वर या मैनिंजाइटिस नामक बीमारी ने जकड़ लिया, जिसका इलाज उन दिनों सम्भव नहीं था और जिसके परिणामस्वरूप एक दिन उनकी माँ को यह अहसास हुआ कि उनकी नन्हीं बच्ची की दृष्टि एवं श्रव्य-शक्ति जा चुकी है ।

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