Hindi, asked by peter160, 1 year ago

Speech on topic Desh Ka Vikas Hindi ka Vikas in Hindi

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Answered by duragpalsingh
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प्रत्येक व्यक्ति के  हृदय में अपने देश के लिए विशिष्ट स्थान होता है| कहा भी गया है “जननी जन्मभूमि स्वर्गादपि गरीयसी|” मुझे गर्व है कि मैं भारतवासी हूँ| जहा का वैदिक धर्म, समुन्नत इतिहास, नैसर्गिक भूगोल और मानवीय मूल्य अभिमान करने योग्य है| कभी-कभी कुछ अवांछित चीजे या घटनाएँ हो जाती है जिससे देश की छवि बिगड़ जाती है| प्रत्येक नागरिक का यह कर्तव्य है कि वो अति सावधान रहकर अपने देश की छवि को बनाये रखे|

  सर्वप्रथम हम ये चर्चा करेंगे कि ऐसी कौनसी बातें है जो भारत की छवि को धूमिल करती है| मेरे विचार में सर्वप्रथम यहाँ स्वच्छता का अभाव है| जब पर्यटक आते हैं तो वो ये महसूस करते है कि यहाँ सफाई व्यवस्था सुचारू नहीं है| अन्य समस्याओं में चोरी, लूटपाट और बलात्कार की घटनाएँ| यहाँ अशिक्षा, बालश्रम, भ्रष्टाचार और पर्यावरण को हानि पहुचाना भी मुख्य मुद्दे है| अब एक शिक्षित भारतवासी होने के नाते ये मेरा  संकल्प है कि मैं स्वच्छ भारत अभियान का हिस्सा बनूंगा| हमेशा कचरापात्र का प्रयोग करूंगा| सार्वजनिक स्थानों को भी निजी स्थान की तरह प्रयोग करूंगा| जहा कहीं भी किसी को  कचरा फैलाते हुए देखूंगा उन्हें कचरापात्र प्रयोग करने की सलाह दूंगा| मेरा अगला कदम होगा पर्यावरण की सुरक्षा| मैं वृक्षारोपण करूंगा और उनकी देखभाल करूंगा| मैं प्राकृतिक संसाधनों का समुचित सम्मान करूंगा; उन्हें बर्बाद नहीं करूंगा| मैं कहीं भी खुला नल दिखाई देने पर उसे बंद करके पानी की बर्बादी रोकूंगा| मैं ज्यादा से ज्यादा सायकिल का प्रयोग करूंगा| मैं अपना लाइसेंस न बनने से पूर्व वाहन नहीं चलाऊंगा| मेरा अगला योगदान होगा अपने मताधिकार का सही प्रयोग| १८ वर्ष की आयु पूर्ण होने पर मैं अपना मताधिकार कार्ड बनवाऊंगा| किसी प्रलोभन में आये बिना मैं सही प्रत्याशी को वोट दूंगा| मैं लोकतंत्र में अपनी आस्था रखूंगा| मैं बाल शिक्षा का कट्टर समर्थन करता हूँ और बाल श्रम का कट्टर विरोध| मैं आस-पास सबको शिक्षा का महत्व समझाऊंगा और उन्हें स्कूल जाने के लिए प्रेरित करूंगा|  जब मैं स्वयं पूर्ण शिक्षित हो जाऊंगा तो निर्धन विद्यार्थियों को मुफ्त में कोचिंग दूंगा| मैं उनकी आवश्यकतानुसार आर्थिक सहायता भी करूंगा| मैं कभी भी भ्रष्टाचार का समर्थन नहीं करूंगा| जो भी भ्रष्टाचार करेंगे, उनके विरूद्ध शिकायत करूंगा| एक जागरूक नागरिक बनकर कालाबाजारी की रोकथाम करूंगा| अपने स्वार्थ के लिए किसी अन्य को नुकसान नहीं पंहुचाउंगा| आवश्यकता पड़ने पर मैं रक्तदान करूंगा| विद्यादान व रक्तदान को सर्वोत्तम माना गया है| भारत भूमि त्याग और तपस्या के लिए अत्यंत प्रसिद्ध है|

   इस प्रकार निष्कर्षत : ये कहा जा सकता है कि अगर संकल्प दृढ हो तो परिणति अवश्य होती है| अपने देश की छवि को निखारने व उच्चतम स्तर पर पहुचानें के लिए मैं यथाशक्य अपने संकल्पों को कार्यान्वित करूंगा| स्वयं को साध लेना ही अन्यजनों के लिए आदर्श उदाहरण है अत: मैं भारत की छवि सुधारने में अपना महती योगदान करूंगा|


Answered by InstaPrince
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Explanation:

विभिन्न क्षेत्र में विकास- आजादी के बाद से भारत ने सभी क्षेत्रों में खुद को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में सार्थक कदम उठाएं हैं. आधुनिक तकनीक तथा अपने संसाधनों के संतुलित उपयोग के जरिये नई सम्भावनाओं को भी तराशा हैं. कृषि तथा उद्यानिकी में साठ के दशक में शुरू हुई हरित क्रांति ने तेजी से खाद्यान्न के क्षेत्र में हमने आत्मनिर्भरता हासिल की.

शिक्षा में नवाचार, प्रशिक्षण की व्यवस्था एवं आधुनिक स्तर के विद्यालय महाविद्यालय स्थापित कर शिक्षा के शिक्षा में भी पर्याप्त उंचाइयो तक पहुंचे. विज्ञान और तकनीकी और सदुपयोग से हमने डिजिटल भारत जैसे अभियानों से प्रत्येक गाँव के व्यक्ति तक आधुनिक संचार की सुख सुविधाएं प्रदान की हैं. आज चिकित्सा के आयुर्वेदिक व होम्योपैथी की बेहतरीन चिकित्सा पद्धतियाँ हमारे देश में हैं. आजादी के बाद से ही भारत के विकास की धारा गाँव से शुरू की गई, गाँवों को भारत की आत्मा कहा गया हैं. इस कारण अपने संसाधनों का उपयोग गाँवों में भी उसी स्तर पर किया हैं.

विकास की आवश्यकता- स्वतंत्रता के समय हमारा देश पिछड़े देशों में गिना जाता था, धीरे धीरे हमने विकास की सीढियों को चढ़ते विकासशील राष्ट्र के रूप में अपनी पहचान बनाई तथा आज भारत विश्व की महाशक्ति के रूप में तेजी से उभर रहा हैं. ऐसा नहीं हैं कि हमने विकास के समस्त आयाम प्राप्त कर लिए हैं. अभी भी कई ऐसे क्षेत्र हैं जो विकास से अछूते रहे हैं. देश के अधिकतर संसाधनों का स्वामित्व आज भी मुट्ठी भर लोगों के पास हैं देश की बहुसंख्यक आबादी गरीबी रेखा से नीचे जीवनयापन करने के लिए मजबूर हैं. देश में कई ऐसे क्षेत्र भी हैं जहाँ आज भी लोग भुखमरी के शिकार हैं. अतः विश्व की महाशक्ति हम तभी बन पाएगे जब हमारे देश का प्रत्येक व्यक्ति सुख सम्पन्न हो.

निष्कर्ष- भारत के विकास के लिए अभी भी बहुत से काम किये जाने की आवश्यकता हैं. दबे कुचले समाज को आज भी मुख्यधारा में लाना बाकी हैं. भारत के संसाधनों पर प्रत्येक नागरिक का हक हैं इसलिए विकेन्द्रीकरण की महत्ती आवश्यकता हैं.

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